मेरा व्यक्तिगत विचार है कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगना चाहिए: खरगे
हक अविनाश
- 31 Oct 2025, 04:06 PM
- Updated: 04:06 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर फिर से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि देश में कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्याओं के लिए यही संगठन जिम्मेदार है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह उनका व्यक्तिगत विचार है।
खरगे ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक बयान से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरा व्यक्तिगत विचार है और खुलकर बोलूंगा कि (आरएसएस पर प्रतिबंध) लगना चाहिए। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जो चीजें (आरएसएस को लेकर) हमारे सामने रखी हैं, अगर उसकी मर्यादा प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) और शाह (गृह मंत्री अमित शाह) रखते हैं तो यह (प्रतिबंध) होना चाहिए।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘आज देश में जो गड़बड़ियां हो रही हैं और कानून-व्यवस्था की समस्यां पैदा हो रही हैं, ये सब भाजपा और आरएसएस की वजह से हैं।’’
कुछ दिन पहले ही खरगे के पुत्र और कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियंक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से आग्रह किया था कि वह सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को आरएसएस और ऐसे अन्य संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों व गतिविधियों में भाग लेने से सख्ती से रोकें।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को सरदार पटेल की जयंती पर संवाददाताओं से कहा कि भारतीय जनता पार्टी को याद रखना चाहिए कि उसके मूल संगठन (आरएसएस) पर पटेल ने प्रतिबंध लगाया था और आज जरूरत है कि इस देश में कोई सरदार पटेल बने और इस विचारधारा पर फिर से प्रतिबंध लगे।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जिन लोगों ने गांधी जी की हत्या की थी, आज उन्हीं के लोग कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी सरदार पटेल को याद नहीं करती। सरदार वल्लभ भाई पटेल देश को एक करने वाले नेता हैं। उन्होंने संविधान सभा में मौलिक अधिकारों से जुड़े अपने विचार रखे और संविधान में जगह बना कर दी।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘सरदार पटेल कहते थे कि संघ के भाषण सांप्रदायिकता से भरे हैं। संघ के कारण ही गांधी जी की हत्या हुई थी। भाजपा-आरएसएस हमेशा देश के लिए घातक रहे हैं, वहीं कांग्रेस हमेशा देश की भलाई के बारे में सोचती है।’’
उनके अनुसार, पहले के समय में लोग नौकरशाही में रहते हुए आरएसएस की विचारधारा फैलाते थे और ऐसे में आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों के साथ सरकारी कर्मचारियों के साथ जुड़ाव पर रोक लगाई गई थी।
खरगे ने कहा, ‘‘लेकिन, 9 जुलाई, 2024 को मोदी सरकार ने इस रोक को हटा लिया, जिससे सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस और उसकी गतिविधियों से जुड़ने की अनुमति मिल गई है। गांधी जी की हत्या के पीछे जिस संस्था के लोगों का हाथ था, जिसे सरदार पटेल ने प्रतिबंधित किया था, भाजपा ने उसी संस्था के साथ सरकारी कर्मचारियों को जुड़ने की छूट दे दी है।’’
उनका कहना था, ‘‘मेरा स्पष्ट मत है कि जो चीज खत्म हो चुकी थी उसे जिंदा किया गया। जिन्होंने इसे जिंदा किया, आगे कुछ हुआ तो वही जिम्मेदार होंगे...यह देश के लिए अच्छा नहीं है।’’
खरगे ने तंज भरे लहजे में कहा कि सांप का विष चखकर नहीं देखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर सिर्फ मौत होती है।
कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था, ‘‘भाजपा के नेता हमेशा कहते हैं कि नेहरू जी और सरदार पटेल जी में मतभेद था, जबकि नेहरू जी ने खुद सरदार पटेल जी को 'भारत की एकता का शिल्पी' बताया था। वहीं पटेल जी ने नेहरू जी को 'देश का आदर्श और जनता का नेता' कहा था।’’
खरगे ने कहा, ‘‘जो लोग देश के लिए मर-मिटे हैं, उनकी ही पार्टी (कांग्रेस) पर कुछ लोग बहुत टिप्पणियां करते हैं। ये समझ से परे है। लेकिन मैं आपको सरदार पटेल जी की बात याद दिलाना चाहता हूं। सरदार पटेल जी ने चार फरवरी 1948 में एक पत्र में लिखा था कि गांधी जी की मृत्यु पर आरएसएस ने जो हर्ष प्रकट किया और मिठाई बांटी, उससे ये विरोध और भी बढ़ गया, इन हालात में सरकार के पास आरएसएस के खिलाफ कदम उठाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था।’’
उनके अनुसार, श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे पत्र में पटेल ने कहा था, ‘‘रिपोर्ट से सिद्ध होता है कि आरएसएस और हिंदू महासभा की गतिविधियों के कारण देश में जिस वातावरण का निर्माण हुआ, उसी से गांधी जी की हत्या हुई।’’
खरगे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी और उनके ‘शिष्य’ (अमित शाह) झूठ को सच में बदलने में माहिर हैं, लेकिन किसी भी सूरत में सच्चाई को नहीं बदला जा सकता।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस विचारधारा की आजादी की लड़ाई और संविधान के निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी वह अपना हित साधने के लिए महापुरुषों की विरासत को हथियाने की कोशिश कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कहा कि सरदार पटेल अन्य रियासतों की तरह पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया।
गुजरात के एकता नगर में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के पास राष्ट्रीय एकता दिवस परेड के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘सरदार पटेल पूरे कश्मीर का एकीकरण करना चाहते थे जैसा उन्होंने अन्य रियासतों के साथ किया था। लेकिन नेहरू जी ने उनकी इच्छा पूरी नहीं होने दी। कश्मीर का विभाजन हुआ, उसे अलग संविधान और अलग झंडा दिया गया और कांग्रेस की इस गलती का खामियाजा देश को दशकों तक भुगतना पड़ा।’’
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