अंतरराष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा और नौसैनिक अभ्यास की फरवरी में मेजबानी करेगा भारत
माधव
- 31 Oct 2025, 10:12 PM
- Updated: 10:12 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) भारतीय नौसेना फरवरी में विशाखापत्तनम में एक अंतरराष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा और एक बड़े नौसैनिक अभ्यास की मेजबानी करेगी, जिसमें रूस और अमेरिका सहित 50 से अधिक नौसेनाएं भाग लेंगी। इसका उद्देश्य अस्थिर भू-राजनीतिक माहौल के बीच भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का प्रदर्शन करना है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि चीन, तुर्किये और पाकिस्तान की नौसेनाओं को इन दो प्रमुख आयोजनों के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।
भारतीय नौसेना अगले महीने गुआम में होने वाले मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भी भाग ले रही है।
उन्होंने बताया कि "महासागरों के माध्यम से एकजुट" विषय पर अंतरराष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा 18 फरवरी को विशाखापत्तनम में आयोजित की जाएगी, जबकि ‘मिलन’ नौसैनिक अभ्यास 19 से 25 फरवरी तक होगा।
स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां उन प्लेटफार्म में शामिल होंगी जिन्हें भारतीय नौसेना इस बेड़ा समीक्षा के लिए तैनात करेगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अंतरराष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा की साक्षी बनेंगी, जिसमें भारतीय नौसेना और कई अन्य देशों के बड़ी संख्या में युद्धपोतों के शामिल होने की उम्मीद है।
भारत दस वर्षों से भी अधिक समय के अंतराल के बाद अंतरराष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा (आईएफआर) की मेजबानी कर रहा है। भारत ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा 2001 में मुंबई में और दूसरी 2016 में विशाखापत्तनम में आयोजित की थी। इन दोनों ने समुद्री सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने में एक विश्वसनीय और जिम्मेदार साझेदार के रूप में भारत की भूमिका को दर्शाया।
भारतीय नौसेना 20 फरवरी को आईओएनएस (हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी) प्रमुखों के सम्मेलन की भी मेजबानी करेगी, जिसमें वह 2026-28 की अवधि के लिए संगठन की अध्यक्षता संभालेगी।
वाइस चीफ आफ नेवल स्टाफ वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने कहा, ‘‘भारत में बेड़े की समीक्षा की परंपरा 18वीं शताब्दी से चली आ रही है, जब कोंकण तट पर मराठा बेड़े की समीक्षा की गई थी, जिसने भारत की समुद्री ताकत की नींव रखी।’’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्वतंत्रता के बाद, यह परंपरा पुनर्जीवित हुई जब हमारे प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1953 में पहला राष्ट्रपति बेड़ा समीक्षा की। तब से अब तक हम 10 राष्ट्रपति समीक्षा देख चुके हैं।’’
वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा और मिलान अभ्यास का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा को और बढ़ावा देना, दुनिया भर की नौसेनाओं के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देना है।
मालदीव में एक चीनी सर्वेक्षण जहाज की यात्रा के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर में प्रत्येक चीनी जहाज पर नजर रखती है।
वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय नौसेना को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैनात किया गया है, लेकिन अन्य देशों के साथ उसके संवाद में कोई रुकावट नहीं आई है।
यह पूछे जाने पर कि आगामी तीन कार्यक्रमों से क्या रणनीतिक संदेश निकलेंगे, उन्होंने कहा, ‘‘कोई पूर्ण विराम नहीं है। हम ऑपरेशन सिंदूर के लिए तैयार और तैनात हैं। अपनी बाकी योजनाओं के लिए, हम उन्हें भी जारी रखेंगे। तो यह एक बहुत ही सरल संदेश है।’’
वाइस एडमिरल ने कहा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर पर कड़ी निगरानी रख रही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में "अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियां" मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी समय, हिंद महासागर क्षेत्र में कम से कम 40 जहाज होते हैं। हम उनमें से हर एक पर नजर रख रहे हैं। हम जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं।’’
नौसेना के आधुनिकीकरण के बारे में उन्होंने कहा कि इस साल 10 जहाज और एक पनडुब्बी को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि दिसंबर के अंत से पहले चार और जहाज मिल जाएंगे। मुझे लगता है कि अगले साल हमारे पास 19 जहाज होंगे जिनके शामिल होने की संभावना है।’’
उन्होंने कहा कि 2027 में 13 युद्धपोत शामिल किए जाएंगे।
सेना के तीनों अंगों के त्रिशूल अभ्यास के बारे में अधिकारियों ने बताया कि नौसेना ने 20-25 युद्धपोत तैनात किए हैं, जबकि भारतीय वायुसेना 40 लड़ाकू विमानों के साथ इसमें भाग ले रही है।
लगभग तीन सप्ताह तक चलने वाला यह अभ्यास बृहस्पतिवार को शुरू हुआ और यह गुजरात के कच्छ क्षेत्र में किया जा रहा है, जो सर क्रीक के पास है।
सर क्रीक गुजरात के कच्छ के रण और पाकिस्तान के बीच 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय मुहाना है और दोनों पक्षों द्वारा समुद्री सीमा रेखाओं की अलग-अलग व्याख्याओं के कारण इसे एक विवादित क्षेत्र माना जाता है।
भाषा अमित माधव
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