बाल संरक्षण विवाद: भारत-रूस संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाले आदेश पारित नहीं करना चाहते-न्यायालय
देवेंद्र माधव
- 01 Nov 2025, 04:35 PM
- Updated: 04:35 PM
नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह एक रूसी महिला का अपने भारतीय पति के साथ बच्चे को संरक्षण को लेकर जारी विवाद में ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करना चाहता जिससे भारत-रूस संबंधों को नुकसान पहुंचे। न्यायालय ने रूसी महिला का पता लगाने के लिए किए जा रहे ईमानदार प्रयासों को लेकर चिंता व्यक्त की।
रूसी महिला अलग रह रहे अपने भारतीय पति के साथ बच्चे के संरक्षण को लेकर जारी विवाद के बीच अपने बच्चे के साथ मॉस्को चली गई है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने समुचित समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि इस मुद्दे का समाधान ढूंढने और बच्चे को उच्चतम न्यायालय की अभिरक्षा में वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए), मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास और नयी दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के सामने एक कूटनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है।
इसने कहा कि कि विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दूतावास ने पारस्परिक और सौहार्द के सिद्धांतों के आधार पर सहायता और सहयोग के लिए पहले ही अभियोजक जनरल के कार्यालय से संपर्क किया था और पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत नए अनुरोध 17 अक्टूबर को मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से रूस के अभियोजक जनरल के कार्यालय को भेजे गये थे।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि विदेश मंत्रालय नेपाल के साथ एमएलएटी के माध्यम से नेपाली नागरिकों समेत अन्य संलिप्त व्यक्तियों की जांच के लिए दिल्ली पुलिस के साथ समन्वय कर रहा है।
पीठ ने रूसी महिला को नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह के रास्ते बच्चे के साथ देश से भागने में मदद करने में रूसी दूतावास के अधिकारियों की मिलीभगत का उल्लेख करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने रूसी अधिकारियों को नोटिस भेजकर विस्तृत जानकारी मांगी, लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
बच्चे की मां एक रूसी नागरिक है, जो 2019 से भारत में रह रही है। शुरुआत में वह एक्स-1 वीजा पर भारत आई थी, जिसकी अवधि बाद में समाप्त हो गई।
हालांकि, अदालती कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान शीर्ष अदालत ने समय-समय पर उसके वीजा की अवधि बढ़ाने का निर्देश दिया था।
पीठ ने भाटी से कहा, ‘‘हम ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करना चाहते जिससे भारत और रूस के बीच संबंध खराब हों, लेकिन यह एक ऐसा मामला है जिसमें एक बच्चा भी शामिल है। हम केवल यही उम्मीद कर सकते हैं कि बच्चा अपनी मां के साथ स्वस्थ और ठीक हो। उम्मीद है कि यह मानव तस्करी का मामला नहीं है...।’’
भाटी ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से रूसी दूतावास के अधिकारियों से बात की है लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न प्रयासों के बावजूद, रूसी पक्ष से हमें सूचनाएं नहीं मिल पा रही हैं।’’
सुनवाई के दौरान, विदेश मंत्रालय और दिल्ली पुलिस को कार्रवाई के विभिन्न तरीके सुझाए गए हैं, जिनका पालन किया जा सकता है या वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए उन्हें काम में लाया जा सकता है।
पीठ ने शुक्रवार को कहा, ‘‘भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने हमें आश्वासन दिया है कि सुनवाई के दौरान हुई चर्चा के आधार पर आगे की कार्रवाई करने के लिए विदेश मंत्रालय और दिल्ली पुलिस को आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे।’’
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भाटी से दो सप्ताह में वस्तु-स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
केंद्र सरकार ने 21 जुलाई को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि उस रूसी महिला के अपने बच्चे के साथ नेपाल के रास्ते भारत से बाहर जाने और संभवत: शारजाह के रास्ते वापस रूस पहुंचने का अंदेशा है, जो अपने अलग हुए भारतीय पति के साथ बच्चे के संरक्षण के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
उच्चतम न्यायालय ने स्थिति को ‘‘अस्वीकार्य’’ बताया और ‘‘अदालत की घोर अवमानना’’ करार दिया था।
भारतीय पिता अलग रह रही रूसी महिला के साथ बच्चे के संरक्षण की लड़ाई लड़ रहा है। उसने आरोप लगाया है कि रूसी महिला बच्चे के संरक्षण से जुड़े अदालती आदेश का पालन नहीं कर रही है।
व्यक्ति ने दावा किया कि सात जुलाई के बाद से उसे अपनी पत्नी और बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
उच्चतम न्यायालय ने 17 जुलाई को दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को बच्चे का तुरंत पता लगाने का निर्देश दिया था और साथ ही केंद्र से कहा था कि वह महिला और नाबालिग के संबंध में ‘लुकआउट नोटिस’ जारी करे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह देश छोड़कर न जा सके।
शीर्ष अदालत ने 22 मई को निर्देश दिया था कि बच्चे का विशेष संरक्षण सप्ताह में तीन दिन सोमवार, मंगलवार और बुधवार को मां को दिया जाए तथा शेष दिनों में बच्चे को उसके पिता की विशेष संरक्षण में रहने का निर्देश दिया जाये।
भाषा
देवेंद्र