झारखंड में संक्रमित खून चढ़ाने के मामले की निष्पक्ष जांच हो, निलंबन वापस लिया जाए : चिकित्सक संघ
धीरज नरेश
- 02 Nov 2025, 09:40 PM
- Updated: 09:40 PM
रांची, दो नवंबर (भाषा)झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (जेएचएएसए)ने रविवार को राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह पश्चिमी सिंहभूम जिले में संक्रमित खून चढ़ाने की घटना के संबंध में स्वास्थ्य अधिकारियों के निलंबन को रद्द करे।
कथित तौर पर पांच थैलेसीमिया प्रभावित बच्चे संक्रमित खून चढ़ाने से एचआईवी से संक्रमित हो गए थे।
सरकारी चिकित्सकों के संगठन ने इस घटना के लिए व्यवस्थागत विफलता का आरोप लगाया तथा निष्पक्ष जांच की मांग की।
इस मामले पर चर्चा के लिए यहां आईएमए हॉल में एक आपातकालीन बैठक आयोजित की गई।
जेएचएएसए के सचिव ठाकुर मृत्युंजय सिंह ने कहा, ‘‘सभी सदस्यों ने बच्चों के एचआईवी से संक्रमित होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दो निर्दोष चिकित्सकों का निलंबन रद्द किया जाना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 26 अक्टूबर को पश्चिमी सिंहभूम जिले के सिविल सर्जन और अन्य अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया था, क्योंकि थैलेसीमिया से पीड़ित पांच बच्चे संक्रमित खून चढ़ाने के बाद एचआईवी पॉजिटिव पाये गये थे।
सिंह ने दावा किया कि यह मुद्दा नया नहीं है।
सिंह ने कहा, ‘‘वर्ष 2017 में छह थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे एचआईवी से संक्रमित पाए गए थे, जबकि इस साल जनवरी में कोडरमा में एक बच्चा एचआईवी से संक्रमित पाया गया। अगर पूरे राज्य में गहन जांच की जाए तो अन्य जिलों से भी और मामले सामने आने की आशंका है।’’
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों को निलंबित करने से समस्या का समाधान नहीं होगा, क्योंकि यह एक प्रणालीगत विफलता है।
सिंह ने कहा,‘‘खून चढ़ाने से पहले रक्तदाता के खून की एचआईवी सहित पांच संक्रामक रोगों के लिए जांच की जाती है। इस अवधि के दौरान प्रयोगशाला परीक्षणों द्वारा किसी भी संक्रमण का पता नहीं लगाया जा सकता। यह प्रयोगशाला परीक्षण की एक सीमा है। इसलिए, सिविल सर्जन, ब्लड बैंक प्रभारी या स्वास्थ्य कार्यकर्ता को ज़िम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि स्थिति में सुधार के लिए प्रणाली को उन्नत करने की आवश्यकता है।
सिंह ने कहा, ‘‘सभी जिलों में पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। सभी ब्लड बैंक में चौथी पीढ़ी की एलिसा और आईडी-नैट मशीनों जैसे नवीनतम उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए।’’
भाषा धीरज