राजनीतिक दलों के ज्ञापन, नियम उनकी वेबसाइट पर प्रकाशित करने की याचिका पर विचार करेगा न्यायालय
प्रशांत मनीषा
- 03 Nov 2025, 05:37 PM
- Updated: 05:37 PM
नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह निर्वाचन आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करने वाली याचिका पर कुछ निर्देश जारी करेगा कि प्रत्येक राजनीतिक दल अपने ज्ञापन, नियम और विनियम अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करें।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर एक आवेदन पर केंद्र और निर्वाचन आयोग (ईसी) को नोटिस जारी करते हुए कहा, “जब तक बहुत मजबूत बाधाएं न हों, हम कुछ निर्देश जारी करना चाहेंगे।”
पीठ ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए उपाध्याय से कहा कि वे अगली सुनवाई पर अदालत को इस बारे में याद दिलाएं।
शीर्ष अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज से कहा कि याचिका में कुछ सार्थक प्रार्थनाएं हैं । शीर्ष अदालत ने उनसे याचिका में उठाए गए मुद्दों पर निर्वाचन आयोग से निर्देश लेने को कहा।
उपाध्याय द्वारा उनकी लंबित जनहित याचिका पर दायर अंतरिम आवेदन में निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि प्रत्येक राजनीतिक दल अपने ज्ञापन, नियमों और विनियमों को अपनी आधिकारिक वेबसाइट के होम पेज पर प्रकाशित करे और अनुपालन रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखे।
याचिका में निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि प्रत्येक राजनीतिक दल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29ए के अनुरूप अपने ज्ञापन, नियमों और विनियमों का पालन करे तथा अनुपालन रिपोर्ट अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे।
शीर्ष अदालत ने 12 सितंबर को धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन के लिए नियम बनाने के वास्ते निर्वाचन आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की थी।
उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर न्यायालय ने केन्द्र, भारत निर्वाचन आयोग और विधि आयोग को नोटिस जारी किया था।
उपाध्याय की मुख्य याचिका में आरोप लगाया गया है कि फर्जी राजनीतिक दल न केवल लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने कट्टर अपराधियों, अपहरणकर्ताओं, मादक पदार्थ तस्करों और धन शोधन करने वालों से भारी मात्रा में धन लेकर उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पदाधिकारी नियुक्त करके देश को बदनाम भी किया है।
भाषा
प्रशांत