अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता पनीरसेल्वम के वफादार मनोज पांडियन द्रमुक में शामिल
प्रशांत माधव
- 04 Nov 2025, 08:50 PM
- Updated: 08:50 PM
चेन्नई, चार नवंबर (भाषा) अन्नाद्रमुक के निष्कासित नेता ओ. पनीरसेल्वम के वफादार और अलंगुलम से विधायक पी. एच. मनोज पांडियन मंगलवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की उपस्थिति में सत्तारूढ़ द्रमुक में शामिल हो गए।
बाद में, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। इसके साथ ही, उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है।
द्रमुक विधायक के. पोन्नुसामी और अन्नाद्रमुक विधायक टी.के. अमूल कंडासामी के निधन के कारण क्रमशः सेंथमंगलम और वालपराई निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उपचुनाव आवश्यक हो गए हैं।
पांडियन का द्रमुक के प्रति निष्ठा रखने का निर्णय पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम के लिए झटका है, जो निष्कासन के बाद से एकजुट अन्नाद्रमुक की वकालत कर रहे हैं।
पेशे से वकील पांडियन पार्टी के राज्य मुख्यालय अन्ना अरिवालयम में पार्टी अध्यक्ष स्टालिन और अन्य नेताओं की उपस्थिति में द्रमुक में शामिल हुए।
पांडियन ने यहां सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, “मौजूदा नेतृत्व में अन्नाद्रमुक एडप्पाडी द्रमुक बन गई है। अगले साल चुनाव में इसे बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा।”
पांडियन ने जुलाई 2022 में अन्नाद्रमुक की आम परिषद द्वारा निष्कासन के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम का समर्थन किया था। वह 1993 से अन्ना द्रमुक के सदस्य थे और पार्टी के अधिवक्ता विंग के संयुक्त सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। वह सांसद भी रह चुके हैं।
पांडियन ने द्रमुक में शामिल होने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘अन्नाद्रमुक ने पार्टी संस्थापक एम जी रामचंद्रन के नियमों और विचारधारा को भुला दिया है। वह तमिलनाडु में भाजपा की एक शाखा की तरह काम कर रही है। केवल द्रमुक ही द्रविड़ आंदोलन के सिद्धांतों और विचारधारा को कायम रख रही है।’’
पांडियन (54) ने आरोप लगाया कि अन्नाद्रमुक उस संगठन की तरह नहीं रह गया है जिसे उसके प्रतिष्ठित नेताओं एम.जी. रामचंद्रन और जे. जयललिता द्वारा चलाया जाता था।
गौरतलब है कि जुलाई में वर्तमान नेतृत्व खासतौर से भारतीय जनता पार्टी के साथ उसकी निकटता से नाराज होकर अन्नाद्रमुक के नेता और राज्य के पूर्व मंत्री अनवर राजा द्रमुक में शामिल हो गए थे।
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