12 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का एसआईआर शुरू; ममता ने ‘गुपचुप धांधली’ बताया
राजकुमार वैभव
- 04 Nov 2025, 10:42 PM
- Updated: 10:42 PM
नयी दिल्ली/कोलकाता, चार नवंबर (भाषा) विभिन्न दलों की आपत्ति के बाद भी निर्वाचन आयोग (ईसी) ने मंगलवार को नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू किया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में एक रैली में एसआईआर को ‘चुपचाप, अदृश्य तरीके से धांधली’ बताया।
बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के अलावा तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक और उसके सहयोगी दल भी एसआईआर का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसके मतदान केंद्र अधिकारियों (बीएलओ) ने मतदाताओं को फॉर्म सौंपना शुरू कर दिया है और वे फार्म भरने में लोगों की मदद भी करेंगे।
निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, एसआईआर गणना चरण से शुरू होगा और चार दिसंबर तक चलेगा।
आयोग नौ दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।
दूसरे चरण में जिन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर किया जाएगा, उनमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
उनमें तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव होंगे। असम में 2026 में चुनाव होने हैं, लेकिन वहां मतदाता सूची में संशोधन की घोषणा अलग से की जाएगी क्योंकि राज्य में नागरिकता सत्यापित करने के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कवायद चल रही है।
इसके अलावा, नागरिकता अधिनियम का एक अलग प्रावधान असम पर लागू है।
बिहार के बाद, यह एसआईआर का दूसरा चरण है। बिहार की अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित हुई थी। उसमें लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल में एसआईआर की शुरुआत को लेकर तनाव बढ़ गया है। 80,000 से अधिक बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने गणना फॉर्म वितरित करने के लिए घरों का दौरा किया, जिससे 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक रूप से संवेदनशील कवायद शुरू हो गई।
इस मुद्दे पर शुरू हुए विवाद में एक तरफ भाजपा और निर्वाचन आयोग हैं जबकि दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस है। भाजपा निर्वाचन आयोग की इस प्रक्रिया के पक्ष में है जबकि तृणमूल कांग्रेस उसके विरूद्ध खड़ी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शाम चार बजे तक बीएलओ द्वारा 16 लाख से अधिक गणना फार्म वितरित किये गये।
कोलकाता में एसआईआर विरोधी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने मौजूदा प्रक्रिया को ‘जल्दबाजी में और राजनीति से प्रेरित’ बताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर का मतलब ‘चुपचाप, अदृश्य तरीके से धांधली’ है।
बनर्जी ने समर्थकों की तालियों की गड़गड़हाट के बीच कहा, ‘‘यदि बंगाल में मतदाता सूचियों से एक भी पात्र मतदाता को हटाया गया तो हम भाजपा सरकार को गिरा देंगे।’’
तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में मतदाताओं को ‘डराने और मताधिकार से वंचित करने’ के लिए एसआईआर का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने नयी दिल्ली में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी।
भाजपा ने मतदाता सूची में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के रूप में एसआईआर का स्वागत किया है। लेकिन बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इसके समय और इरादे पर सवाल उठाया है।
तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने निर्वाचन आयोग को पक्षपाती करार देते हुए एसआईआर को ‘‘धोखाधड़ी भरा काम’’ बताया।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को कोलकाता के बाहरी इलाके में भाजपा की एक रैली का नेतृत्व किया और मांग की कि हर बांग्लादेशी घुसपैठिए को देश से बाहर निकाला जाए तथा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पूरी तरह से किया जाए।
इसके अलावा, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने एसआईआर के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में इसे वास्तविक ‘एनआरसी’ करार दिया है और इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल ने 27 अक्टूबर, 2025 को एसआईआर पर निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की गयी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है।
हालांकि, मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक इस प्रक्रिया का समर्थन करती है। अन्नाद्रमुक राज्य में भाजपा की सहयोगी है।
उत्तर प्रदेश में, यह प्रक्रिया 'शुद्ध निर्वाचक नामावली - मजबूत लोकतंत्र' थीम के तहत शुरू की गई है।
केरल में, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एसआईआर के कार्यान्वयन पर आम सहमति बनाने के लिए बुधवार को एक सर्वदलीय ऑनलाइन बुलाई है। भाजपा को छोड़कर राज्य के अधिकांश राजनीतिक दलों ने इसके समय को लेकर चिंता जताई है।
इस व्यापक प्रक्रिया में इन नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 321 जिलों और 1,843 विधानसभा क्षेत्रों के लगभग 51 करोड़ मतदाताओं का सत्यापन किया जायेगा।
भाषा राजकुमार