भाजपा नेता अपराजिता सारंगी गंभीर आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक पर संयुक्त समिति की अध्यक्षता कर सकती हैं
शोभना प्रशांत
- 11 Nov 2025, 01:09 AM
- Updated: 01:09 AM
कोहिमा, 10 नवंबर (भाषा) भाजपा नेता अपराजिता सारंगी संसद की संयुक्त समिति की अध्यक्षता कर सकती हैं, जो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय/राज्य कैबिनेट मंत्रियों को गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार या हिरासत में रखने पर उन्हें पद से हटाने संबंधी विधेयकों का विश्लेषण करेगी।
प्रमुख विपक्षी दलों द्वारा समिति का बहिष्कार करने की घोषणा के साथ, इस समिति में सत्तारूढ़ राजग गठबंधन के सांसदों के शामिल होने की संभावना है।
गठबंधन के बाहर से राकांपा (एसपी) नेता सुप्रिया सुले, अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी और मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति के 31 सदस्यीय समिति का हिस्सा होने की उम्मीद है।
इससे पहले लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संसदीय समितियों को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि ये समितियां राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर मुद्दों पर चर्चा करती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि समिति में सभी राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व हो।’’
इस समिति का गठन जल्द ही होने की उम्मीद है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे कई विपक्षी दलों ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है।
यह संविधान संशोधन विधेयक और दो अन्य प्रस्तावित विधेयक 20 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन पेश किए गए थे। लोकसभा द्वारा तीनों विधेयकों को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
अन्य विपक्षी दलों से अलग हटकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एस़पी) ने 31 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने का फैसला किया है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के भी इसमें शामिल होने की संभावना है।
बिरला ने कहा, ‘‘ये समितियां ‘मिनी संसद’ की तरह हैं क्योंकि सदस्य राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इन्हें राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। हम सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
विपक्षी नेताओं का तर्क है कि यह विधेयक कानून के उस मूलभूत सिद्धांत का उल्लंघन है जिसके अनुसार दोषी साबित होने तक व्यक्ति निर्दोष होता है।
इस विधेयक के मुताबिक, गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के एक महीने के भीतर जमानत न मिलने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की स्वतः बर्खास्तगी हो जाएगी।
भाषा शोभना