डिजिटल गोपनीयता इंजीनियरिंग स्तर की चुनौती, उपयोगकर्ता पर बोझ न डालें:आईटी मंत्रालय के वैज्ञानिक
निहारिका अजय
- 20 Nov 2025, 05:06 PM
- Updated: 05:06 PM
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि डिजिटल गोपनीयता संबंधी चिंताओं का समाधान मुख्य रूप से इंजीनियरिंग स्तर पर किया जाना चाहिए और अंतिम उपयोगकर्ताओं पर इसका बोझ न डालें।
गूगल के ‘सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई’ कार्यक्रम में एमईआईटीवाई के वैज्ञानिक विकास चौरसिया ने कहा कि गोपनीयता बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकियां, डेटा संरक्षण को लागू करने और डिजिटल प्रणालियों में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए ‘‘मुख्य इंजन’’ का प्रतिनिधित्व करती हैं।
गोपनीयता बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकियां (पीईटी) ऐसे उपकरण हैं जो डिजिटल प्रणाली का उपयोग करते समय व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा में मदद करते हैं। ये प्रौद्योगिकियां ‘एन्क्रिप्शन’ (कूटलेखन), या विभेदक गोपनीयता जैसी विधियों का इस्तेमाल करके एकत्रित या साझा की जाने वाली जानकारी की मात्रा को सीमित करती हैं, जिससे उपयोगकर्ता डेटा को निजी रखा जाता है।
चौरसिया ने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि गोपनीयता एक ऐसी समस्या है, जिसका समाधान उपयोगकर्ता के स्तर से अधिक इंजीनियरिंग स्तर पर किया जा सकता है। उपयोगकर्ता ही अंतिम उपभोक्ता है जो संभवतः किसी ऐसी चीज का उपभोग कर सकता है जो दुर्भाग्यवश, अभी प्रारूपण की प्रक्रिया में है।’’
वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अगर सुरक्षा तंत्र प्रौद्योगिकी रूप से अच्छी तरह से एकीकृत न हों, तो वे अपना उद्देश्य खो सकते हैं। पहले, ओटीपी एक दूसरे कारक के रूप में काम करते थे क्योंकि वे एक अलग उपकरण पर आते थे। हालांकि, अब बैंकिंग कार्य एवं ओटीपी पहुंच दोनों एक ही फोन पर होते हैं, जिससे प्रभावशीलता कम हो जाती है।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम के तहत भारत द्वारा हाल ही में जारी डेटा संरक्षण नियमों का उल्लेख करते हुए चौरसिया ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तात्कालिक प्राथमिकता शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योग के साथ सहयोग के माध्यम से पीईटी को अपनाने को बढ़ावा देना है।
चौरसिया ने कहा कि भारत एक ‘‘ गोपनीयता के प्रति जागरूक समाज’’ है।
उन्होंने व्यवसायों से आग्रह किया कि वे अनुपालन को केवल एक दायित्व के रूप में न देखें, बल्कि विश्वास एवं प्रतिस्पर्धात्मकता बनाने के अवसर के रूप में देखें।
‘ओपन-सोर्स’ प्रौद्योगिकियों एवं स्थानीय नवाचार की क्षमता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि लघु एवं मझोले उद्यम गोपनीयता एवं सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करने के लिए ‘ओपन टूल्स’ का लाभ उठा सकते हैं।
‘ओपन-सोर्स टूल’ ऐसे सॉफ्टवेयर है जिसका स्रोत कोड स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होता है।
चौरसिया ने कहा, ‘‘ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय शैक्षणिक भागीदारों के साथ आगे की बातचीत की योजना बना रहा है। इसमें जिसमें आने वाले दिनों में चेन्नई में होने वाली कुछ बैठकें भी शामिल हैं, ताकि पीईटी के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता उत्पन्न की जा सके..’’
भाषा निहारिका