ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने के लिए इजराइल काम करना जारी रखेगा : राजदूत अजार
सुरभि रंजन
- 18 Jun 2025, 12:31 AM
- Updated: 12:31 AM
नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) भारत में इजराइल के राजदूत रुवेन अजार ने मंगलवार को कहा कि दोनों देशों के मध्य बढ़ते तनाव के बीच इजराइल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार प्रयास करता रहेगा।
यहां आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर होगा कि शत्रुता को रोकने के लिए कोई कूटनीतिक समाधान निकाला जा सके।
राजदूत ने कहा कि इजराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और मिसाइल क्षमताओं को “गंभीर रूप से कमजोर” करने के लिए सैन्य कार्रवाई की तथा दावा किया कि यह उनके देश के लिए “खतरा” था।
जब उनसे टकराव के भविष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने के लिए हम अपनी क्षमता के अनुसार प्रयास करते रहेंगे।”
अमेरिका से अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर अजार ने कहा कि वाशिंगटन और इजराइल “पूरी तरह से एकमत हैं”। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि इजराइल की कार्रवाई का अमेरिका “समर्थन” करेगा।
अजार ने कहा कि अमेरिका की सैन्य और राजनीतिक सहायता के लिए इजराइल आभारी है।
सूत्रों ने बताया कि इजरायल ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि ईरान ने परमाणु कार्यक्रम के भीतर ‘‘शस्त्रीकरण गतिविधि को फिर से शुरू कर दिया है’’।
कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है। अमेरिका और अन्य देशों ने अनुमान है कि ईरान ने 2003 से परमाणु हथियार बनाने के लिए कोई संगठित प्रयास नहीं किया है।
इजराइल के राजदूत की ये प्रेस वार्ता ऐसे समय में हुई जब कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन जारी है।
शक्तिशाली समूह सात (जी-7) के नेताओं का जमावड़ा 16 जून और 17 जून को इजराइल एवं ईरान के बीच जारी शत्रुता की पृष्ठभूमि में हो रहा है। शुक्रवार को इजराइल द्वारा अपना सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से दोनों देशों के बीच शत्रुता और बढ़ गई है।
‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत इजराइल ने ईरान के क्षेत्र में कई हमले किए। ईरान ने भी शुक्रवार को इजराइल को चेतावनी देने के बाद जवाबी कार्रवाई की।
इस सैन्य झड़प में अपने देश में हताहतों के बारे में पूछे जाने पर अजार ने कहा कि अब तक इजराइल में 24 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को अचानक जी-7 से चले गए। वह एक दिन पहले ही रवाना हो गए क्योंकि इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष तेज हो गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह भी घोषणा की है कि ईरान को ‘‘तुरंत’’ खाली करा देना चाहिए।
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि ‘ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते।’’
यह पूछे जाने पर कि इजराइल अमेरिका से क्या भूमिका की उम्मीद करता है और इस तथ्य को देखते हुए कि वह वाशिंगटन लौट गए हैं, क्या उसे अमेरिका से कुछ भी उम्मीद हैं, इस पर अजार ने कहा, ‘‘हमें देखना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका जो भी करेगा वह उसके राष्ट्रीय हितों के अनुसार होगा।’’
इजराइल और ईरान के बीच हाल के घटनाक्रमों पर जी-7 नेताओं के बयान में कहा गया कि ‘‘इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। हम इजराइल की सुरक्षा के लिए अपना समर्थन दोहराते हैं’’।
उन्होंने कहा, ‘‘हम लगातार स्पष्ट रहे हैं कि ईरान के पास कभी भी परमाणु हथियार नहीं हो सकता है’’ और आग्रह किया कि ईरानी संकट के समाधान से पश्चिम एशिया में शत्रुता में ‘‘व्यापक कमी’’ आएगी, जिसमें गाजा में युद्ध विराम भी शामिल है।
राजदूत से जब यह पूछा गया कि क्या इजराइल तनाव को कम करने में भारत की ओर किसी भूमिका की उम्मीद करता है। इस पर उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बयान के बाद भी भारत द्वारा इजराइल-ईरान स्थिति को लेकर अपने रुख पर कायम रहने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हम इसकी सराहना करते हैं।’’ एससीओ ने बयान जारी कर इजराइल के सैन्य हमलों की आलोचना की थी।
भारत ने शुक्रवार को कहा था कि वह ईरान और इजराइल के बीच हाल के घटनाक्रमों से ‘‘बेहद चिंता’’ में है और उभरती स्थिति पर ‘‘बारीकी से नजर रख रहा है’’। भारत ने दोनों देशों से किसी भी तरह के आक्रामक कदम से बचने का आग्रह किया था।
एससीओ के बयान के बाद शनिवार को भारत ने जोर देकर कहा कि इजराइल-ईरान स्थिति पर उसका रुख पहले की तरह ही बना हुआ है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तनाव कम करने के लिए बातचीत एवं कूटनीति के माध्यमों का उपयोग करने का आग्रह किया।
भाषा सुरभि