देश की आम भाषा हो सकती है हिंदी, द्रमुक संकीर्ण राजनीति कर रही: विहिप
वैभव मनीषा
- 24 Feb 2025, 05:40 PM
- Updated: 05:40 PM
नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) तमिल भारत की ‘राष्ट्रीय भाषाओं’ में से एक है, लेकिन केवल हिंदी ही देश में समन्वय की आम भाषा के रूप में काम कर सकती है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने सोमवार को यह बात कही।
उसने तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक से कहा कि वह इस बात को अस्वीकार करके राज्य को देश की प्रगति की मुख्यधारा से अलग न करे।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की टिप्पणी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत निर्धारित स्कूली शिक्षा के लिए तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर चल रहे विवाद की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रमुक ने केंद्र पर नीति के कार्यान्वयन पर जोर देकर राज्य पर हिंदी थोपने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने संस्कृत को लेकर नियमित रूप से आपत्ति जताने के लिए भी द्रमुक की आलोचना की और कहा कि पार्टी ‘‘वोट बैंक के पीछे अंधी हो गई है’’ लेकिन वह तमिलनाडु को ‘‘हिंदी और संस्कृत से अलग करके’’ उसकी जड़ों से नहीं काट सकती।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनईपी के तमिलनाडु सरकार के विरोध को ‘राजनीतिक’ करार देते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि तीन भाषा के फॉर्मूले में छात्रों पर हिंदी नहीं थोपी जा रही और राज्य सरकार स्कूली शिक्षा पर कोई भी तीन भारतीय भाषाएं चुन सकती है।
प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर जैन ने तमिलनाडु सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि द्रमुक हिंदी को खारिज करके राज्य को ‘देश की प्रगति की मुख्यधारा’ से अलग करना चाहती है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इसलिए यह एनईपी को लागू नहीं कर रही है, जबकि सभी शिक्षाविदों का मानना है कि यह नई पीढ़ी सहित लोगों की प्रगति सुनिश्चित करने और उन्हें अच्छे नागरिक बनाने के लिए एक अच्छी पहल है।’’
उन्होंने कहा कि तमिल भी एक ‘राष्ट्रीय भाषा’ है, लेकिन देश को एक आम भाषा की जरूरत है जिसे हर कोई बोल सके।
जैन ने पूछा, ‘‘क्या वे अंग्रेजी बोलेंगे?’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर पूरे देश में समन्वय की कोई भाषा हो सकती है, तो वह केवल हिंदी हो सकती है। इसलिए कृपया इसे खारिज करके तमिलनाडु को राष्ट्रीय प्रगति की मुख्यधारा से अलग न करें।’’
विवाद के बीच, तमिल समर्थक कार्यकर्ताओं ने रविवार को राज्य के दो रेलवे स्टेशनों पर लगे बोर्ड पर हिंदी शब्दों पर कालिख पोत दी।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी प्रसारित हुआ, जिसमें कार्यकर्ताओं को हिंदी में लिखे ‘पोलाची जंक्शन’ पर कालिख पोतते देखा गया। बाद में अधिकारियों ने इसे ठीक कर दिया।
द्रमुक कार्यकर्ताओं ने तिरुनेलवेली जिले के पलायनकोट्टई स्टेशन के बोर्ड पर हिंदी नाम को भी काले पेंट से रंग दिया। रेलवे सुरक्षा बल ने रेलवे अधिनियम के प्रावधानों के तहत छह पार्टी कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किया।
भाषा को लेकर द्रमुक के व्यवहार की आलोचना करते हुए विहिप पदाधिकारी ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ के दौरान संगम में पवित्र स्नान करने के लिए तमिलनाडु से बड़ी संख्या में लोग आए थे।
जैन ने कहा, ‘‘वे हिंदी ठीक से नहीं समझते थे, लेकिन अन्य श्रद्धालुओं के साथ तालमेल बिठाते हुए टूटी-फूटी हिंदी बोल रहे थे, क्योंकि वे दिल की भाषा समझते थे। कुंभ हिंदू एकता का प्रतीक बन गया है।’’
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के मंदिर हिंदू संस्कृति का जीवंत रूप हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री (एमके स्टालिन) की पत्नी भी वहां जाती हैं। उनके परिवार के सदस्यों के नाम भी (हिंदी में) करुणानिधि, दयानिधि, उदयनिधि हैं।’’
जैन ने पूछा कि क्या स्टालिन अपनी पत्नी को मंदिरों में जाने से रोकेंगे और अपने परिवार के सदस्यों के नाम बदलेंगे ?
विहिप पदाधिकारी ने कहा कि द्रमुक सांसद दयानिधि मारन ने हाल में लोकसभा सचिवालय के उस कदम का विरोध किया था, जिसमें सदन की कार्यवाही का संस्कृत में अनुवाद करने की बात कही गई थी, जबकि तमिलनाडु में देश का सबसे पुराना संस्कृत महाविद्यालय है।
भाषा वैभव