सज्जन कुमार की दोषसिद्धि: मामले से संबंधित घटनाओं का क्रमवार विवरण
नोमान पवनेश
- 25 Feb 2025, 03:39 PM
- Updated: 03:39 PM
नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दो व्यक्तियों की हत्या के मामले में मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यहां मामले से संबंधित घटनाओं का क्रमवार विवरण दिया गया है।
-1991: मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई।
-आठ जुलाई 1994: दिल्ली की अदालत ने अभियोजन शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं पाए। मामले में कुमार के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया।
-12 फरवरी 2015: सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।
-21 नवंबर 2016: एसआईटी ने अदालत से कहा कि मामले में आगे जांच की जरूरत है।
-छह अप्रैल 2021: कुमार को गिरफ्तार किया गया।
-पांच मई 2021: पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किया।
-26 जुलाई: अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लिया।
-एक अक्टूबर: अदालत ने आरोपों पर बहस शुरू की।
-16 दिसंबर: अदालत ने हत्या, दंगा और अन्य अपराधों के आरोप तय किए।
-31 जनवरी 2024: अदालत ने अंतिम दलीलें सुनना शुरू किया।
-आठ नवंबर: अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।
-12 फरवरी, 2025: अदालत ने कुमार को दोषी ठहराया।
-25 फरवरी: कुमार को आजीवन कारावास की सजा दी गई।
हिंसा और उसके बाद की घटनाओं की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में दंगों के संबंध में 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। इन दंगों में 2,733 लोग मारे गए थे। कुल मिलाकर, लगभग 240 प्राथमिकियों को पुलिस ने कोई सुराग न मिलने का हवाला देते हुए बंद कर दिया और 250 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया।
केवल 28 मामलों में ही सजा हो सकी, जिनमें लगभग 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। कुमार सहित लगभग 50 लोगों को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया।
उस समय प्रभावशाली कांग्रेस नेता और सांसद रहे कुमार 1984 में एक और दो नवंबर को दिल्ली की पालम कॉलोनी में पांच लोगों की हत्या के मामले में भी आरोपी थे। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित है।
कुमार को निचली अदालत द्वारा बरी किये जाने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक और अपील लंबित है, जबकि दिल्ली की एक अदालत वर्तमान में चौथे मामले में सुनवाई कर रही है।
भाषा
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