जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती में गिरावट रुकी, विस्तार की योजना : जावेद अहमद डार
रवि कांत रवि कांत नरेश
- 04 Mar 2025, 03:23 PM
- Updated: 03:23 PM
जम्मू, चार मार्च (भाषा) जम्मू-कश्मीर की सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने केसर की खेती में गिरावट को सफलतापूर्वक रोक दिया है, जिससे केसर उत्पादन का रकबा 3,715 हेक्टेयर पर बना हुआ है। इसके अतिरिक्त केसर की खेती में विस्तार के लिए नए क्षेत्रों की पहचान की गई है।
कृषि मंत्री जावेद अहमद डार ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में केसर की खेती के विकास में विभाग की कार्यप्रणाली की जांच की जाएगी।
डार ने कहा, ‘‘ सरकार ने केसर की खेती में गिरावट को सफलतापूर्वक रोक दिया है। वर्ष 2010-11 से केसर उत्पादन का क्षेत्र 3,715 हेक्टेयर पर स्थिर बना हुआ है - कश्मीर संभाग में 3,665 हेक्टेयर और किश्तवाड़ में 50 हेक्टेयर। इसके अलावा केसर की खेती हेतु विस्तार के लिए नए क्षेत्रों की पहचान की गई है।’’
उन्होंने कहा कि केसर पर राष्ट्रीय मिशन ने जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया है, जिससे किसानों के लिए उत्पादकता और कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
कृषि मंत्री ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य न्यायमूर्ति हसनैन मसूदी के सवाल के जवाब में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि हालांकि, सिंचाई, बुनियादी ढांचा और भूमि अतिक्रमण जैसी प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 2010-11 में शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय-कश्मीर (एसकेयूएएसटी-के) द्वारा तैयार की गई प्रमुख योजना के तहत 400.11 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ इस मिशन को शुरू किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें से 315.99 करोड़ रुपये भारत सरकार द्वारा तथा 84.12 करोड़ रुपये किसानों द्वारा दिए गए। अब तक 269.91 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जिनमें से 259.67 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।’’
मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आधुनिक तकनीकों के कार्यान्वयन से केसर की उत्पादकता 2009-10 के 2.50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2023 में 4.42 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के शिखर पर पहुंच गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय कश्मीर केसर एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (आईआईकेएसटीसी) की स्थापना और वैज्ञानिक तरीकों की शुरूआत से किसानों को काफी लाभ हुआ है।’’
डार ने कहा कि केसर की कीमत 2021-22 में 80,000 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 2,20,000 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई और केसर की कुल उत्पादकता में भी इजाफा हुआ है।
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