जनता से सुझाव लेगी गुजरात यूसीसी समिति
अमित नरेश
- 04 Mar 2025, 06:22 PM
- Updated: 06:22 PM
जनता से सुझाव लेगी
गांधीनगर, चार मार्च (भाषा) समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए गुजरात सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति सार्वजनिक परामर्श करेगी और महिलाओं के लिए समान अधिकारों तथा बच्चों की देखभाल पर ध्यान केंद्रित करेगी। यह जानकारी समिति अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई ने मंगलवार को दी।
पांच सदस्यीय यूसीसी समिति ने गुजरात की राजधानी में अपनी पहली बैठक की जहां न्यायमूर्ति देसाई ने जनता, सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), सामाजिक समूहों, समुदायों, धार्मिक संगठनों और राजनीतिक दलों से यूसीसी के संबंध में सुझाव लेने के लिए एक वेब पोर्टल की शुरुआत की।
उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति देसाई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारा काम आज से शुरू होता है। समिति को गुजरात में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता का आकलन करने का काम सौंपा गया है। इस कवायद के बाद हम एक मसौदा तैयार करेंगे और इसके लिए हम सार्वजनिक परामर्श करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक परामर्श इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है और दो उप-समितियां गठित की गई हैं - एक सार्वजनिक परामर्श के लिए और दूसरी मसौदा तैयार करने के वास्ते।
समिति की बैठक पिछले महीने दिल्ली स्थित गुजरात भवन में हुई थी।
न्यायमूर्ति देसाई ने कहा, ‘‘हम महिलाओं के समान अधिकारों और बच्चों की देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। विवाह और तलाक के लिए समान अधिकार होने चाहिए। विवाह और तलाक का पंजीकरण करना होगा, लेकिन विवाह की रस्मों में बाधा नहीं डाली जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि सभी विवाहों और तलाकों का पंजीकरण ही एकमात्र आवश्यकता है तथा तलाक कानून के अनुसार ही किया जाना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराधिकार का कानून और लिव-इन संबंधों के कानून का मसौदा जल्द ही तैयार किया जाएगा।
न्यायमूर्ति देसाई ने कहा, ‘‘हम जल्द ही यूसीसी के लिए मसौदा तैयार करना शुरू करेंगे और इसे जल्द से जल्द पूरा करने की उम्मीद करते हैं। हालांकि उससे पहले हम आम लोगों, धार्मिक नेताओं और प्रेस के साथ सार्वजनिक परामर्श करेंगे। फिर हम पोर्टल पर दिए गए सुझावों पर गौर करेंगे। हम नये विचारों और आपत्तियों के लिए उनका अध्ययन करेंगे। उसके बाद हम एक मसौदा तैयार करना शुरू करेंगे और उसे जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करेंगे।’’
उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह संहिता संविधान के निर्देशक सिद्धांतों में है और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस बारे में कई फैसले दिए हैं।
उन्होंने कहा कि समिति लोगों से मिलकर उनकी बात सुनेगी, लेकिन हो सकता है कि उक्त काम तय समय में पूरा नहीं हो पाए क्योंकि गुजरात जैसे बड़े राज्य में सार्वजनिक परामर्श में समय लगेगा।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, हितधारक यूसीसी के बारे में अपने सुझाव और राय ऑनलाइन या डाक के माध्यम से 24 मार्च तक दे सकते हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘इस समिति ने आज राज्य सरकार के विभिन्न आयोगों, धार्मिक संगठनों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की और उनके सुझाव और राय प्राप्त की।’’
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि न्यायमूर्ति देसाई की अध्यक्षता वाली समिति को 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है, जिसके बाद यूसीसी के क्रियान्वयन के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
समिति के अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सी एल मीणा, अधिवक्ता आर सी कोडेकर, शिक्षाविद् दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ शामिल हैं।
भाषा अमित