पंजाब : चंडीगढ़ में प्रस्तावित धरना प्रदर्शन से पहले कई एसकेएम नेताओं को ‘हिरासत’ में लिया गया
धीरज नरेश
- 04 Mar 2025, 06:27 PM
- Updated: 06:27 PM
लुधियाना/ होशियारपुर, चार मार्च (भाषा)संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा पांच मार्च को चंडीगढ़ में आयोजित विरोध प्रदर्शन से पहले पंजाब पुलिस ने मंगलवार की सुबह उसके नेताओं के आवासों पर कथित तौर पर ‘छापेमारी’ की और कई नेताओं को ‘हिरासत’ में ले लिया या उन्हें ‘घर में ही नजरबंद’ कर दिया गया।
किसान नेताओं और विपक्षी दलों ने पुलिस कार्रवाई के लिए प्रदेश की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की आलोचना की। यह घटना पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और एसकेएम नेताओं के बीच हुई बैठक के एक दिन बाद सामने आई है। उक्त बैठक से मुख्यमंत्री अचानक बाहर चले गए थे।
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा, ‘‘सरकार ऐसे कदमों से किसानों की आवाज नहीं दबा सकती।’’
एसकेएम सदस्यों के मुताबिक पुलिस कार्रवाई की आशंका के मद्देनजर कई किसान नेता भूमिगत हो गए हैं।
लुधियाना में, बलबीर सिंह राजेवाल, हरजीत सिंह गियासपुरा, बलवंत सिंह खिरनिया, अवतार सिंह महलो, मनमोहन सिंह देवल और दिलबाग सिंह सहित एसकेएम नेताओं को कथित तौर पर हिरासत में ले लिया गया है।
लुधियाना के पुलिस उपायुक्त जसकरण सिंह तेजा ने कहा कि छह किसान नेताओं को ‘हिरासत’ में लिया गया है।
इस बीच, किसान नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी में एक सप्ताह तक चलने वाले ‘धरने’ के एसकेएम के आह्वान के तहत चंडीगढ़ की ओर कूच करने की अपील की है।
एसकेएम ने अब निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के केंद्र के मसौदे को वापस लेने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने, राज्य की कृषि नीति को लागू करने और राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर छह फसलों की खरीद की मांग कर रहा है।
लखोवाल ने दावा किया कि पंजाब पुलिस ने आज सुबह एसकेएम नेताओं के आवासों पर ‘‘छापेमारी’’ की। उन्होंने कहा कि उनके आवास पर भी पुलिसकर्मी तैनात हैं।
लाखोवाल ने किसानों से बड़ी संख्या में चंडीगढ़ पहुंचने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘हम किसानों की विभिन्न मांगों के समर्थन में लड़ रहे हैं। विरोध प्रदर्शन करना हमारा अधिकार है। हम राज्य सरकार को चेतावनी देते हैं कि वह इस तरह की पुलिस कार्रवाई न करे।’’
होशियारपुर में दोआबा किसान समिति के अध्यक्ष जंगवीर सिंह चौहान ने किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की। चौहान ने आरोप लगाया कि सुबह करीब साढ़े चार बजे उन्हें रसूलपुर गांव स्थित उनके आवास से पुलिस थाने ले जाया गया।
बाद में उनके समर्थक पुलिस थाने पहुंचे और अधिकारियों पर उन्हें रिहा करने तथा उनके आवास पर छोड़ने के लिए दबाव बनाया।
चौहान ने दावा किया कि उन्हें ‘घर में नजरबंद’ कर दिया गया है तथा उनके घर के बाहर अभी भी कम से कम तीन पुलिसकर्मी तैनात हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा यातायात अवरुद्ध करने या किसी कार्यालय के काम में बाधा डालने का कोई इरादा नहीं था; यह केवल अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए चंडीगढ़ में एक विरोध प्रदर्शन था। हालांकि, हमें स्थान देने के बजाय, सरकार ने हमारे साथ एक बैठक निर्धारित की।’’
चौहान ने आरोप लगाया, ‘‘बैठक के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान बाहर चले गए और इसके बाद किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई शुरू की गई। यह बेहद निंदनीय है और स्पष्ट रूप से कल चंडीगढ़ में हमारे नियोजित विरोध प्रदर्शन को दबाने का प्रयास है।’’
एसकेएम नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा कि पुलिस ने उनके आवास पर भी छापेमारी की। उन्होंने कहा कि लुधियाना में मंगलवार को होने वाली एसकेएम की बैठक स्थगित कर दी गई है।
पटियाला ने कहा कि किसानों ने बुधवार को चंडीगढ़ की ओर कूच करने का संकल्प लिया है। अगर पुलिस उन्हें रोकती है तो उन्हें वहीं बैठ जाना चाहिए।
भारती किसान यूनियन (राजेवाल) के उपाध्यक्ष मुकेश चंद्र शर्मा ने दावा किया, ‘‘पुलिस ने सुबह चार बजे मेरे आवास पर छापा मारा।’’ उन्होंने पुलिस कार्रवाई की निंदा की।
कई दलों के नेताओं ने किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को लेकर आप सरकार की निंदा की।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद)के नेता सुखबीर सिंह बादल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘आज सुबह-सुबह पुलिस ने किसान नेताओं के आवासों पर छापेमारी शुरू कर दी और संयुक्त किसान मोर्चा के पांच मार्च के आंदोलन को विफल करने के एक क्रूर प्रयास के तहत उनमें से कई को हिरासत में ले लिया। इस तरह के तानाशाही तरीके कभी भी अन्नदाता की आवाज को दबा नहीं सकते।’’
उन्होंने कहा,‘‘अकाली दल प्रदर्शनकारी किसानों और उनके मुद्दे के साथ एकजुटता व्यक्त करता है और यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेगा कि उनकी सभी मांगें इस भ्रष्ट और अहंकारी आप सरकार द्वारा स्वीकार की जाएं।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पुलिस कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘‘किसान अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों को गिरफ्तार करने के बजाय भ्रष्ट मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मैं किसान नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग करता हूं।’’
हालांकि, मान का कहना है कि बातचीत के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं लेकिन आंदोलन के नाम पर जनता को असुविधा और परेशानी से बचाया जाना चाहिए।
भाषा धीरज