‘डिजिटल लुडाइट’ की संख्या बढ़ रही, पर वे तकनीक का लोकतांत्रीकरण चाहते हैं ना कि इसका अंत
संतोष माधव
- 04 Mar 2025, 04:59 PM
- Updated: 04:59 PM
(रफाएल एफ सिरिएलो और रिक सुलिवन, सिडनी विश्वविद्यालय/ विटाली मिंडेल, वर्जीनिया टेक)
सिडनी, चार र्माच (द कन्वरसेशन) क्या आप को किसी ने कभी ‘लुडाइट’ कहा है? हम आम तौर पर (अपमान के रूप में) इस प्रचलित धारणा में लिप्त रहे हैं कि ‘लुडाइट’ लोग प्रगति विरोधी हठधर्मी व्यक्ति होते हैं। लेकिन यह सच्चाई से परे की बात है।
उन्नीसवीं सदी के मूल ‘लुडाइट’ लोग तकनीक के खिलाफ नहीं थे, बल्कि उन्होंने इसके दमनकारी इस्तेमाल का विरोध किया।
उनके विद्रोह को हिंसक तरीके से दबा दिया गया। लेकिन उनकी मुख्य आलोचना आज भी कायम है: तकनीक से पूरी मानवता को फायदा होना चाहिए, न कि कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को।
आज जब ‘सिलिकॉन वैली’ के अरबपति और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे पर कॉरपोरेट नियंत्रण को बढ़ावा दे रहे हैं, तो यह आलोचना पहले से कहीं ज्यादा सच लगती है।
इसके जवाब में हम लोकतांत्रिक उद्देश्यों के लिए तकनीक पर फिर से नियंत्रण पाने के प्रयासों में तेजी देख रहे हैं। यह एक तरह का ‘डिजिटल लुडिज्म’ है जो हाई-टेक अन्याय के खिलाफ पिछले संघर्षों की याद दिलाता है।
‘लुडाइट’ की उत्पत्ति
लुडाइट लोग 19वीं सदी में ब्रिटेन की कपड़ा मिलों के कामगार थे जिन्होंने अपनी कला और आजीविका को खतरे में डालने वाली मशीनरी को नष्ट कर दिया था। इतिहासकार उनकी रणनीति को ‘दंगा के जरिये सामूहिक सौदेबाजी’ करार देते हैं।
वे उन तकनीकों के खिलाफ लड़ रहे थे जो सत्ता का केंद्रीकरण करती थीं और मज़दूरों की गरिमा को छीन लेती थीं। लुडाइट लोगों का प्रतिरोध श्रम अधिकारों और सामाजिक-आर्थिक न्याय के लिए व्यापक संघर्षों का हिस्सा था।
उदाहरण के लिए, 18वीं सदी के फ्रांस में रेशम बुनकरों ने इसी तरह मशीनीकरण के खिलाफ विद्रोह किया था जिसने उनके शिल्प का अवमूल्यन किया था।
इससे पहले इंग्लैंड के ‘डिगर्स और लेवलर्स’ ने सामुदायिक भूमि के निजीकरण का विरोध किया था। इसने डिजिटल बुनियादी ढांचे पर कॉरपोरेट नियंत्रण को लेकर आज की लड़ाइयों का पूर्वाभास कराया।
लुडाइट लोगों को कारावास और यहां तक कि फांसी सहित कठोर दंड का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उनकी विरासत कायम है। आज तकनीक से जुड़ी बड़ी कंपनियों की आलोचना को लुडाइट बताकर खारिज करना शोषण के खिलाफ प्रतिरोध को प्रगति के डर से जोड़ने की गलती को दोहराता है।
सबसे चरम स्थिति में राक्षसी सरकारी नीतियों के साथ अनियंत्रित कॉरपोरेट शक्ति का गठबंधन अत्याचारों को जन्म दे सकता है। उदाहरण के लिए नाजी जर्मनी में कंप्यूटर दिग्गज आईबीएम की पूर्व सहायक कंपनी डेहोमैग ने पीड़ितों पर नजर रखने के लिए नाजियों को डेटा सिस्टम उपलब्ध कराया था।
रसायन कंपनी आईजी फारबेन ने भी विनाश शिविरों के लिए ‘जाइक्लोन बी’ गैस की आपूर्ति की। कई अन्य कंपनियों ने जबरन श्रम से लाभ कमाया और शासन को वित्त पोषित किया।
यह दर्शाता है कि कैसे मिलीभगत दमन को और अधिक घातक बना सकती है। आज डिजिटल प्रौद्योगिकियां असमानता की खाई को और गहरा कर रही हैं, लोकतंत्र को नष्ट कर रही हैं, निजता को कम कर रही हैं और सत्ता को केंद्रित कर रही हैं। डिजिटल प्रौद्योगिकियां निगरानी पूंजीवाद, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) एल्गोरिदम द्वारा मानव श्रमिकों के विस्थापन और एकाधिकारवादी मंचों के विकास को बढ़ावा दे रही हैं।
एलन मस्क और मार्क जुकरबर्ग जैसे अत्यधिक अमीर लोगों द्वारा शासित मंच और एआई प्रणाली भी वैश्विक स्तर पर राजनीति, संस्कृति और धारणा को गढ़ने का काम कर रही है।
‘डिजिटल लुडिज्म’ को ‘नियो-लुडिज्म’ के नाम से भी जाना जाता है और यह इन मुद्दों को तीन रणनीतियों के माध्यम से हल करता है: प्रतिरोध, निष्कासन और प्रतिस्थापन।
प्रतिरोध: हानिकारक प्रणालियों को अवरुद्ध करना
प्रौद्योगिकी अपरिहार्य नहीं है-यह एक विकल्प है। निरंतर सामूहिक कार्रवाई कॉरपोरेट प्रभुत्व का मुकाबला कर सकती है और तकनीक को लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ जोड़ सकती है।
वर्ष 2018 में, 3,000 से अधिक गूगल कर्मचारियों ने कंपनी के सैन्य एआई अनुबंध का विरोध किया, जिससे उसे नैतिक दिशा-निर्देश अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, इस साल फरवरी में गूगल ने रक्षा सौदों का विस्तार किया, जिससे पता चला कि प्रतिरोध को कैसे बनाए रखा जाना चाहिए।
तीन साल बाद, फेसबुक के मुखबिर फ्रांसेस हौगेन ने सोशल मीडिया मंच के केंद्र में हानिकारक एल्गोरिदम की मौजूदगी को उजागर किया। फिर 2024 में, अमेजन और गूगल के कर्मचारियों ने भी इजराइली सैन्य अभियानों से जुड़े 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर के एआई अनुबंध को लेकर बहिष्कार किया।
रचनात्मक उद्योग भी जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं। उदाहरण के लिए 2023 में हॉलीवुड में पटकथा लेखकों और अभिनेताओं ने अपनी भूमिकाओं को बदलने के लिए एआई का विरोध किया। इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया का ‘डिस्कनेक्ट करने का अधिकार’ कानून स्वायत्तता पुनः प्राप्त करने के लुडाइट सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करता है।
डिजिटल लुडिज्म नवाचार को खारिज नहीं करता, बल्कि यह मांग करता है कि प्रौद्योगिकी हितधारकों की सेवा करे, ना कि शेयरधारकों की।
हटाना: जमी जमाई सत्ता को खत्म करना
कुछ प्रणालियां सुधार से परे होती हैं और इनके लिए सीधे हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ती है। हटाने में राजनीतिक कार्रवाई और कानूनी विनियमन शामिल है। इसमें एकाधिकार को तोड़ने या अनैतिक निगमों पर दंड लगाने के लिए सार्वजनिक दबाव भी शामिल है।
उदाहरण के लिए, ट्रैफिकिंग हब याचिका ने वयस्क वेबसाइट ‘पोर्नहब’ को अनैतिक या गैरकानूनी सामग्री के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए 20 लाख से अधिक हस्ताक्षरकर्ताओं को आकर्षित किया।
इसने वीजा और मास्टरकार्ड जैसे वित्तीय संस्थानों को वेबसाइट से संबंध खत्म करने के लिए प्रेरित किया। ‘डिजिटल लुडाइट’ कानून के लंबे हाथ की भी मदद कर सकते हैं।
यूरोपीय संघ के 2023 के ‘डिजिटल बाजार अधिनियम’ ने एप्पल के ऐप स्टोर के एकाधिकार को तोड़ दिया। इसने छोटे यूरोपीय संघ के डेवलपर्स की संख्या में उछाल ला दिया।
मालिकाना कॉरपोरेट प्रणाली को लंबे समय से मुफ्त, ओपन-सोर्स विकल्पों द्वारा चुनौती दी जा रही है। लेकिन ‘डिजिटल लुडिज्म’ सिर्फ अलग-अलग उपकरणों का उपयोग करने के बारे में नहीं है, यह टिकाऊ, पारदर्शी और उपयोगकर्ता-नियंत्रित बुनियादी ढांचे की दिशा में प्रणालीगत बदलाव के बारे में है।
एलन मस्क के ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद, विकेंद्रीकृत विकल्प जो उपयोगकर्ताओं को सामग्री को नियंत्रित करने देते हैं, फले-फूले। उदाहरण के लिए, ब्लूस्काई का एक साल में विकास 10 लाख से बढ़कर 2.7 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता के रूप में हुआ।
ऑस्ट्रेलियाई सरकार भी मंच की स्वतंत्रता की व्यापक सार्वजनिक मांग का जवाब दे रही है। उदाहरण के लिए इसने लोगों के डेटा अधिकारों को बढ़ाने के उद्देश्य से नीतियां पेश की हैं। इसकी ‘डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एजेंसी’ भी मंच की स्वतंत्रता के लिए जनता की व्यापक मांग का जवाब दे रही है।
चीन की ‘डीपसीक’ और हगिंगफेस की ‘डीप रिसर्च’ जैसी ओपन-सोर्स एआई परियोजनाएं अब कॉरपोरेट मॉडल के रूप में एक-दूसरे को टक्कर दे रही हैं, जिससे साबित होता है कि ओपन टेक एक ताकत है।
मूल लुडाइट लोगों ने मशीनों को तोड़ दिया। लेकिन आज के डिजिटल अवसंरचना की वैश्विक प्रकृति भौतिक तोड़फोड़ को अव्यावहारिक बनाती है। यही कारण है कि ‘डिजिटल लुडिज्म’ स्क्रीन को तोड़ने के बारे में नहीं है, बल्कि यह दमनकारी प्रणालियों को तोड़ने के बारे में है।
(द कन्वरसेशन)
संतोष