आईएलएंडएफएस समूह की 197 इकाइयों का 45,281 करोड़ रुपये का कर्ज समाधान पूरा
प्रेम प्रेम अजय
- 07 Apr 2025, 04:08 PM
- Updated: 04:08 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) कर्ज में डूबे आईएलएंडएफएस समूह ने मार्च, 2025 तक अपने ऋणदाताओं को 45,281 करोड़ रुपये का कर्ज चुका दिया है। इसके साथ समूह की 197 इकाइयों का कर्ज समाधान पूरा हो गया है।
दिवाला अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के समक्ष दायर नवीनतम स्थिति रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
मार्च, 2025 तक चुकाई गई 45,281 करोड़ रुपये की राशि 28 अक्टूबर, 2024 को आईएलएंडएफएस की तरफ से दाखिल पिछली स्थिति रिपोर्ट में बताए गए 38,082 करोड़ रुपये के चुकता कर्ज से 18.9 प्रतिशत अधिक है।
आईएलएंडएफएस ने कहा कि 21 मार्च, 2025 तक समूह की 302 इकाइयों में से 197 का कर्ज समाधान हो चुका है। इस तरह 61,000 करोड़ रुपये के ऋण समाधान लक्ष्य में से 45,281 करोड़ रुपये का कर्ज समाधान पूरा हो चुका है।
अब केवल 105 इकाइयों का ही कर्ज समाधान होना बाकी रह गया है। इनमें से केवल 57 इकाइयों के लिए ही स्थगन संरक्षण जारी रखने की जरूरत है।
आईएलएंडएफएस के नवीनतम हलफनामे में कहा गया है कि नए निदेशक मंडल को कुल कर्ज समाधान लगभग 61,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है जो अक्टूबर, 2018 तक के कुल ऋण का 61 प्रतिशत होगी।
वसूली प्रक्रिया के तहत आईएलएंडएफएस का नया निदेशक मंडल समूह की कंपनियों द्वारा प्राप्त गैर-कोष आधारित सीमाओं को खत्म करने में लगा हुआ है। समूह बैंक गारंटी या ऋण पत्रों को जारी और रद्द करने में जुटा हुआ है। इसके अलावा घरेलू इकाइयों को अंतरिम वितरण के माध्यम से नकद भुगतान भी किया जा रहा है।
पिछले साल नवंबर में समूह को शेष 58 फर्मों के समाधान को 31 मार्च, 2025 तक पूरा करने का निर्देश दिया गया था और उस तिथि तक स्थगन भी बढ़ा दिया गया था।
राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने स्थगन अवधि इसलिए बढ़ाई थी क्योंकि शेष 58 कंपनियों के लिए प्रक्रिया उन्नत चरण में है और समूह परिसंपत्ति समाधान और अन्य तंत्रों के जरिये ऋण कम करने में काफी आगे बढ़ चुका है।
आईएलएंडएफएस समूह पर 2018 में वित्तीय संकट गहराने के समय 99,355 करोड़ रुपये का बकाया बाहरी ऋण था। अक्टूबर, 2018 तक समूह ने 94,215 करोड़ रुपये का कोष-आधारित ऋण लिया था।
वित्तीय संकट गहराने के बाद अक्टूबर, 2018 में एनसीएलटी ने केंद्र सरकार की सिफारिश पर आईएलएंडएफएस के तत्कालीन बोर्ड को हटा दिया था।
भाषा प्रेम प्रेम