संसद ने दी आईआईएम संशोधन विधेयक को मंजूरी, गुवाहाटी में बनेगा प्रबंध संस्थान
अविनाश माधव मनीषा अविनाश माधव
- 20 Aug 2025, 06:07 PM
- Updated: 06:07 PM
नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) संसद ने गुवाहाटी में भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) की स्थापना के प्रावधान वाले एक विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी और शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार ने इसके लिए 550 करोड़ रुपये के आर्थिक अनुदान की व्यवस्था की है तथा संस्थान में मौजूदा शैक्षणिक सत्र से ही दाखिला शुरू हो जाएगा।
राज्यसभा ने आज भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 को चर्चा एवं शिक्षा मंत्री के जवाब के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे मंगलवार को ही पारित कर चुकी है।
उच्च सदन में विधेयक पर चर्चा एवं पारित किए जाने के दौरान कई विपक्षी दलों के सदस्य अनुपस्थित थे। विपक्षी सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं दिए जाने के विरोध में सदन से वाकऑउट किया।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधान ने कहा कि देश में अभी 21 आईआईएम संचालित हो रहे हैं और गुवाहाटी 22वां ऐसा संस्थान होगा।
उन्होंने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह देश में 9वां नया आईआईएम होगा। उन्होंने कहा कि 1961 से देश में आईआईएम कार्यरत हैं। 1961 से 2014 तक 53 साल में केवल 13 आईआईएम ही स्थापित हो सकीं।
उन्होंने कहा कि 2013-14 में सभी 13 आईआईएम में छात्रों की संख्या 3,500 थी जो 2024-25 में बढ़कर 9,800 हो गयी है। उन्होने कहा कि यह नए संस्थान बनाने और देश में छात्रों को अधिक अवसर प्रदान करने के प्रति मौजूदा सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रधान ने कहा कि 2017 तक आईआईएम संस्थान डिग्री नहीं दे सकते थे और वे पीजी डिप्लोमा उपाधि प्रदान करते थे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 2017 में आईआईएम को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप, आईआईएम राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बन गए।
प्रधान ने कहा कि संसद द्वारा 2017 में कानून बनाए जाने के बाद आईआईएम पूर्ण विश्वविद्यालय जैसा संस्थान बन गया और जब आईआईएम गुवाहाटी काम करना शुरू करेगा, तो वह विश्वविद्यालय के समान ही राष्ट्रीय महत्व का संस्थान होगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि 2004-14 का समय असम के लिए सबसे खराब था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य की पूरी तरह से अनदेखी की, क्योंकि उनके पास निर्णय लेने की शक्तियां नहीं थीं।
प्रधान ने कहा कि सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर खोलने की अनुमति दे रही है आज 15 विदेशी विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर खोलने की तैयारी कर रहे हैं।।इसी तरह पिछले दो साल में, अबू धाबी और अफ्रीका में दो आईआईटी संस्थान खुले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आईआईएम हमारे देश का विश्व में एक बड़ा ब्रांड बन गया है। आईआईएम की प्रतिष्ठा इतनी ज्यादा है कि विदेश में भी इसे खोले जाने की मांग हो रही है।’’
मंत्री ने कहा कि यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) सरकार आईआईएम, अहमदाबाद का अपने ही खर्च से एक परिसर खोल रही है और अगले महीने इसका दुबई कैंपस खुलने वाला है।
प्रधान ने कहा कि भारत ने विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है और इस लक्ष्य को पाने के लिए अच्छे शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि आज जरूरत है कि युवा रोजगार के पीछे भागने की बजाय अन्य लोगों को नौकरी देने वाले बनें।
प्रधान के जवाब के बाद, विधेयक को सदन ने ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
भाषा अविनाश माधव मनीषा अविनाश