बीएएसएआई ने जैव-उत्प्रेरक पर जीएसटी को लेकर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा
राजेश राजेश अजय
- 22 Sep 2025, 07:56 PM
- Updated: 07:56 PM
नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) बायोलॉजिकल एग्री सॉल्यूशंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएएसएआई) ने सोमवार को कहा कि उसने जैव-उत्प्रेरकों पर लागू जीएसटी को लेकर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
पौधों की वृद्धि में सहायक जैव-उत्प्रेरकों को वर्ष 2021 से उर्वरक (नियंत्रण) आदेश (एफसीओ) 1985 के तहत विनियमित किया जा रहा है। अगस्त तक, सरकार ने एफसीओ के तहत 146 जैव-उत्प्रेरक उत्पादों को आधिकारिक रूप से अधिसूचित और पूर्ण रूप से अनुमोदित किया है।
एक मीडिया सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बीएएसएआई की अध्यक्ष और चेयरपर्सन संदीपा कानितकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच जैव-उत्प्रेरक वक्त की मांग हैं।
कानितकर ने कहा, ‘‘किसानों के औजारों को अब बदलना होगा। अगर इसे नहीं बदला गया, तो हमारी उत्पादकता पहले जैसी ही बनी रहेगी।’’
इस क्षेत्र की चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए, बीएएसएआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विपिन सैनी ने कहा कि जैव-उत्प्रेरकों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर असमंजस की स्थिति है। ‘‘कुछ जगहों पर, जैव-उत्प्रेरकों को पांच प्रतिशत जीएसटी श्रेणी में और कुछ जगहों पर 18 प्रतिशत जीएसटी श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। मेरा मानना है कि इसे पांच प्रतिशत श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए।’’
यह गलत व्याख्या है क्योंकि हाल ही में कुछ कंपनियों को नोटिस मिले हैं जिनमें कहा गया है कि जैव-उत्प्रेरकों पर पांच प्रतिशत नहीं, बल्कि 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
सैनी ने कहा, ‘‘एचएसएन कोड में वर्गीकरण को लेकर भी कुछ अस्पष्टता है। हम इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांग रहे हैं।’’
हाल ही में सरकार द्वारा 8,000 से ज़्यादा जैव-उत्प्रेरक उत्पादों के अस्थायी पंजीकरण को अमान्य घोषित किए जाने पर, कानितकर ने कहा कि सरकार ने कुछ जैव-उत्प्रेरक उत्पादों को अधिसूचित किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जो अन्य कंपनियां इस अधिसूचना के अनुरूप हैं, वे निश्चित रूप से अपने जैव-उत्प्रेरक बाज़ार में ला सकती हैं। सर्वोत्तम उत्पाद किसानों तक पहुंच सकें, इसके लिए एक विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण अपनाना होगा।’’
भारत में जैव-उत्प्रेरकों का बाजार आकार 2,500-3,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
भाषा राजेश राजेश