आठ साल पहले लापता हुए महंत की गुमशुदगी की जांच उच्च न्यायालय ने सीबीआई को सौंपी
सं दीप्ति अमित
- 30 Oct 2025, 11:10 PM
- Updated: 11:10 PM
नैनीताल, 30 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार के एक महंत की गुमशुदगी की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है, जो पिछले आठ वर्षों से लापता हैं।
उच्च न्यायालय ने राज्य की जांच एजेंसियों के मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में विफल रहने पर गहरी चिंता जतायी। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने पारित किया।
महंत सुखदेव मुनि ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करके मामले की सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराए जाने का अनुरोध किया था। इस याचिका पर 30 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया।
सोलह सितंबर 2017 को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता और कनखल के श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महंत मोहनदास मुंबई जाने के लिए हरिद्वार से एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी पर सवार हुए। जब रेलगाड़ी भोपाल रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो उनके शिष्यों में से एक खाना लेकर उनकी सीट पर पहुंचा लेकिन महंत वहां नहीं थे। बहुत प्रयासों के बावजूद, उनका पता नहीं चल पाया जिसके बाद कनखल पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी।
विवेचना अधिकारी (आईओ) ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने अंतिम रिपोर्ट दाखिल की थी लेकिन उन्होंने उसे खारिज कर दिया और मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए। इसके बाद, आईओ ने प्रगति रिपोर्ट दाखिल की जिस पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले का निस्तारण किया।
याचिकाकर्ता ने इसके बाद हरिद्वार के चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के सामने पुनरीक्षण याचिका दायर की जिसने न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले का पलट दिया और मामले को वापस जांच के लिए भेज दिया।
अदालत द्वारा प्रगति रिपोर्ट मांगे जाने के बावजूद, आईओ ने न तो कोई रिपोर्ट दाखिल की और न ही जांच दोबारा शुरू की। सात वर्षों की निष्क्रियता और कोई निर्णायक निष्कर्ष न मिलने के बाद, याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का रुख किया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वर्षों बाद भी जांच एजेंसियां महंत को ढूंढने में विफल रहीं। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इसको लेकर गंभीर चिंता जतायी कि देश का एक नागरिक सालों से लापता है लेकिन अधिकारी उसका पता नहीं लगा पाए हैं।
अदालत ने कहा कि राज्य ने बार-बार जांच को एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी को स्थानांतरित किया, लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।
अदालत ने कहा कि महंत का पता लगाने में एजेंसियों की विफलता से वह बहुत व्यथित है और इसलिए उसने सीबीआई जांच का निर्देश दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को सभी मौजूदा जांच रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने का आदेश भी दिया।
फर्जी संतों की एक सूची तैयार करके चर्चाओं में आए महंत मोहनदास के गायब होने के बाद अखाड़ा परिषद ने कहा था कि सूची बनाने के बाद से उन्हें धमकियां मिल रही थीं। परिषद ने उन फर्जी संतों पर उनके अपहरण का संदेह भी जताया था जिनकी पोल खोलने की वह कोशिश कर रहे थे।
भाषा सं दीप्ति