'ओआरएस' लिखे पेय पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने संबधित आदेश में हस्तक्षेप नहीं: उच्च न्यायालय
सुभाष माधव
- 31 Oct 2025, 08:43 PM
- Updated: 08:43 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संकेत दिया कि वह खाद्य एवं पेय पदार्थ कंपनियों को ‘‘ओआरएस’’ शब्द का उपयोग करने से निषिद्ध करने संबंधी एफएसएसएआई के निर्देश में हस्तक्षेप नहीं करेगा, जब तक कि वे मानक चिकित्सा ‘फॉर्मूलेशन’ को पूरा नहीं करते।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि अगर कंपनी, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड, अपने मौजूदा उत्पादों पर ‘‘फिर से स्टिकर’’ लगाना चाहती है, तो वह ऐसा कर सकती है और भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।
अदालत ने कहा कि वह इस संबंध में एक विस्तृत आदेश पारित करेगी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि जन स्वास्थ्य को खतरा बने नहीं रहने दिया जा सकता क्योंकि नागरिकों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है।
अदालत ने कहा, ‘‘यह स्वास्थ्य के लिए खतरा है...प्रतिबंध जारी रहेगा। जन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मैं इस प्रतिबंध में कोई बदलाव नहीं कर रहा हूं। आप अपने मौजूदा उत्पाद पर दोबारा स्टिकर लगाना चाहते हैं, तो निश्चित रूप से आप ऐसा कर सकते हैं और एफएसएसएआई को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।’’
अदालत डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एफएसएसएआई के उस निर्देश को चुनौती दी गई है जिसमें उसके ‘ओरल रिहाइड्रेशन’ ब्रांड रेबलान्ज़ विटर्स के लिए 'ओआरएस' लेबल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘जहां तक मौजूदा भंडार का सवाल है, मैं आपको उनके (एफएसएसएआई) सामने अपनी बात रखने और अपनी मुश्किलें बताने की छूट देता हूं...। मैं ऐसा कोई माध्यम लागू नहीं कर रहा हूं जिससे जन स्वास्थ्य को खतरा हो, यह एफएसएसएआई को विचार करना है।’’
कंपनी ने दलील दी है कि उसने अपने उत्पाद का नया भंडार करना बंद कर दिया है। इसने पहले से मौजूद भंडार के निपटान के लिए आदेश जारी किये जाने का अनुरोध किया है।
सुनवाई के दौरान, फार्मा कंपनी के वकील ने कहा कि वे अपने पास मौजूद मौजूदा भंडार पर फिर से स्टिकर लगाने के लिए तैयार हैं।
कंपनी के वकील ने कहा, ‘‘अगर मैं स्टॉकिस्टों से भंडार वापस पाने में कामयाब हो गया, तो मैं उस पर भी फिर से स्टिकर लगा दूंगा।’’
चौदह अक्टूबर को, एफएसएसएआई ने एक आदेश जारी कर खाद्य एवं पेय पदार्थ कंपनियों को उत्पाद के नाम या ब्रांडिंग में 'ओआरएस' शब्द के इस्तेमाल की सभी पूर्व अनुमति वापस ले ली थी, जब तक कि वे मानक चिकित्सीय फॉर्मूलेशन को पूरा न करें।
खाद्य सुरक्षा नियामक ने शर्करायुक्त या इलेक्ट्रोलाइट पेय पदार्थों की ब्रांडिंग में 'ओआरएस' के इस्तेमाल को उपभोक्ताओं, विशेषकर बच्चों के लिए भ्रामक और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 का उल्लंघन माना था।
ओआरएस, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित ‘ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन’ का संक्षिप्त रूप है, तथा इसे निर्जलीकरण से पीड़ित लोगों को दिया जाता है।
भाषा सुभाष