'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' व्यंग्यात्मक कृति है, अंतरिम निषेधाज्ञा का मामला नहीं: रेड चिलीज
देवेंद्र पवनेश
- 31 Oct 2025, 10:39 PM
- Updated: 10:39 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) शाहरुख खान के स्वामित्व वाली ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट’ ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी समीर वानखेड़े के पास 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' सीरीज पर अंतरिम निषेधाज्ञा आदेश मांगने का कोई मामला नहीं है, क्योंकि यह व्यंग्य आधारित एक रचना है।
वानखेड़े ने कई वेबसाइट से इस सीरीज को हटाने का अनुरोध किया है, जिस पर उन्होंने मानहानिकारक होने का आरोप लगाया है।
वानखेड़े की अंतरिम अर्जी के जवाब में प्रतिवादी ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ ने कहा कि यह वेब सीरीज एक ‘‘व्यंग्य’’ है और इस तरह के चित्रण को कलात्मक अभिव्यक्ति और सामाजिक टिप्पणी के वैध रूप में कानून में अनुमति है।
इसमें कहा गया है, ‘‘आपत्तिजनक क्लिप या उक्त सीरीज में कहीं भी वादी (वानखेड़े) का नाम नहीं है और सीरीज में एक अस्वीकरण है जो स्पष्ट करता है कि यह एक काल्पनिक रचना है।’’
न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव के समक्ष जवाब दाखिल किया गया, जिन्होंने मामले में पक्षकारों को अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए समय दिया है और मामले को 10 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
वानखेड़े ने रेड चिलीज को दिए अपने जवाब में कहा कि “मानहानिकारक सामग्री”उनके साथ निजी दुश्मनी निकालने और 2021 के मादक पदार्थ मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए तैयार की गई थी।
रेड चिलीज ने दावा किया है कि सामग्री कलात्मक भाषण और व्यंग्य है जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित है और ऐसी अभिव्यक्ति पर किसी भी पूर्व प्रतिबंध या सेंसरशिप को केवल अनुच्छेद 19(2) के तहत उचित ठहराया जा सकता है।
दूसरी ओर, वानखेड़े ने आरोप लगाया कि आर्यन खान द्वारा लिखित और निर्देशित यह सीरीज उन्हें निशाना बनाने और बदनाम करने के लिए बनाई गई है।
वानखेड़े ने दो करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है और इस रकम को कैंसर रोगियों की मदद के लिए टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल को दान करने की इच्छा जताई है।
उच्च न्यायालय ने वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि के मामले में अभिनेता शाहरुख खान, रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, नेटफ्लिक्स, एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर), गूगल एलएलसी, मेटा प्लेटफॉर्म्स, आरपीएसजी लाइफस्टाइल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और जॉन डो - को मानहानि के मामले में समन जारी किये थे।
याचिका में कहा गया है, ‘‘यह सीरीज मादक पदार्थ-निरोधक प्रवर्तन एजेंसियों का भ्रामक और नकारात्मक चित्रण करती है जिससे कानून प्रवर्तन संस्थानों में जनता का विश्वास कमजोर होता है।’’
याचिका में कहा गया है कि सीरीज को वानखेड़े की प्रतिष्ठा को जानबूझकर धूमिल करने के इरादे से तैयार किया गया है और यह सीरीज खासकर ऐसे समय में बनी है जब याचिकाकर्ता और शाहरुख खान के बेटे आर्यन से जुड़ा मामला मुंबई उच्च न्यायालय तथा स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) से संबंधित विशेष अदालत के समक्ष विचाराधीन है।
नेटफ्लिक्स के वकील ने इस मुकदमे का विरोध किया।
याचिका में दावा किया गया है कि सीरीज में एक पात्र को खासकर ‘सत्यमेव जयते’ का नारा बोलने के बाद अपने हाथ की बीच वाली उंगली दिखाकर अश्लील इशारे करते हुए दिखाया गया है, जबकि ‘सत्यमेव जयते’ स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय प्रतीक का हिस्सा है।
इसमें कहा गया है कि यह कृत्य राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के प्रावधानों का गंभीर और संवेदनशील उल्लंघन है, जिसके लिए कानून के तहत दंड के प्रावधान किये गये हैं।
याचिका में कहा गया है कि सीरीज में अश्लील और आपत्तिजनक विषय-वस्तु के उपयोग से राष्ट्रीय भावनाओं को आहत करने का प्रयास किया गया है तथा यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम एवं भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करती है।
भाषा
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