बंगाल: बीएलओ ने प्रशिक्षण के दौरान किया प्रदर्शन, आधिकारिक ड्यूटी का दर्जा और सुरक्षा की मांग की
जितेंद्र पवनेश
- 01 Nov 2025, 08:52 PM
- Updated: 08:52 PM
कोलकाता, एक नवंबर (भाषा) निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मद्देनजर 80 हजार से अधिक बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के लिए शनिवार को एक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। प्रतिभागियों के एक वर्ग ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने और कर्तव्यों के निर्वहन में पारदर्शिता की मांग उठाई।
आयोग रविवार और सोमवार को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) को प्रशिक्षित करेगा।
अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न जिलों में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तीन नवंबर तक पूरा हो जाएगा और इसके अगले दिन से घर-घर जाकर विवरण एकत्र करने का कार्य शुरू हो जाएगा।
एक अधिकारी ने बताया, “आज (शनिवार को) राज्य भर में कुल 80,861 बीएलओ को एसआईआर के लिए प्रशिक्षित किया गया। उन्हें गणना प्रपत्रों की समीक्षा करने, मतदाताओं के साथ समन्वय करने और बीएलओ ऐप पर जानकारी अपलोड करने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बीएलओ को ऐप की तकनीकी और लॉग-इन प्रणाली से परिचित कराना और गणना प्रपत्रों के रखरखाव से अवगत कराना था।”
अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक बीएलओ को पहचान पत्र और टोपी सहित एक किट उपलब्ध कराई जा रही है।
अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने एसआईआर अभ्यास के तहत बीएलओ के लिए 16-सूत्रीय दिशानिर्देश जारी किए हैं और क्षेत्रीय कार्यों को सुव्यवस्थित करने के लिए एक नया मोबाइल ऐप भी शुरू किया है।
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान बीएलओ को विशेष किट और एसआईआर प्रक्रिया के बारे में विस्तृत निर्देश दिए जा रहे हैं।
बीएलओ चार नवंबर से चार दिसंबर तक घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन और फॉर्म भरने का काम करेंगे।
हालांकि बीएलओ के एक वर्ग ने सत्रों के दौरान प्रशासनिक व सुरक्षा व्यवस्था पर आपत्ति जताई और ड्यूटी को औपचारिक मान्यता देने, उचित दस्तावेजीकरण व अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की।
बीएलओ के रूप में तैनात शिक्षकों ने प्रशिक्षण अवधि के दौरान उपस्थिति रजिस्टर में उन्हें अनुपस्थित दर्शाने के स्कूल अधिकारियों के फैसले का विरोध किया।
बीएलओ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि एसआईआर कार्य में उनकी भागीदारी को आधिकारिक तौर पर ‘ऑन ड्यूटी’ के रूप में दर्ज किया जाए।
इसके अलावा, बीएलओ के एक बड़े वर्ग ने प्रशिक्षण और फील्डवर्क दोनों के लिए केंद्रीय सुरक्षा की मांग की और चेतावनी दी कि जब तक सुरक्षा उपायों को दुरुस्त नहीं किया जाता, वे ड्यूटी से विरत रहेंगे।
नजरुल मंच में प्रतिभागियों ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने उपस्थिति का ऐसा कोई भी वैध प्रमाण या प्रशिक्षण संबंधी कोई भी दस्तावेज जारी नहीं किया, जिसे उनके संबंधित विभागों में प्रस्तुत किया जा सके।
दुर्गापुर के उप-मंडल कार्यालय (एसडीओ) से भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन की खबरें आईं, जहां बीएलओ ने संयुक्त रूप से अपनी शिकायते रखीं।
एक शिक्षक ने कहा, “आज (शनिवार को) हमें जो फॉर्म दिया गया, उसमें बीएलओ प्रशिक्षण का कोई आधिकारिक संदर्भ नहीं है। हम इसे अपने विद्यालयों में उपस्थिति के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत नहीं कर सकते। पहले, उचित दस्तावेज उपलब्ध कराए गए थे। हम आज के लिए भी इसी तरह के प्रमाण पत्र की मांग करते हैं।”
एक अन्य प्रतिभागी ने कहा, “हम काम करने को तैयार हैं लेकिन आयोग को हमें उचित दस्तावेज और सुरक्षा प्रदान करनी होगी। इनके बिना, हम आगे नहीं बढ़ सकते।”
कुछ प्रतिभागियों ने दावा किया कि जहां पहले के सत्रों में उचित प्रमाणीकरण शामिल था, वहीं शनिवार को वितरित किए गए फॉर्म में प्रशिक्षण का कोई आधिकारिक उल्लेख नहीं था।
एक शिक्षक ने कहा, “आधिकारिक प्रमाण पत्र के बिना हम अपने विद्यालयों में यह साबित नहीं कर सकते कि हम बीएलओ प्रशिक्षण में भाग ले रहे थे।”
भाषा जितेंद्र