दिल्ली पुलिस ने नए जमाने के निकोटीन उपकरणों से निपटने के लिए कार्यशाला आयोजित की
प्रशांत रंजन
- 03 Nov 2025, 03:43 PM
- Updated: 03:43 PM
नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस वेपिंग और नए दौर के निकोटीन उपकरणों के खतरे से निपटने के लिए एक समर्पित क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित करने वाला पहला पुलिस बल बन गया है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
नागरिक नेतृत्व वाले आंदोलन मदर्स अगेंस्ट वेपिंग (एमएवी) के सहयोग से “डिजिटल युग में प्रवर्तन: युवाओं में वेप संस्कृति से निपटना” शीर्षक से आधे दिन का सत्र रविवार को राजिंदर नगर स्थित दिल्ली पुलिस अकादमी में आयोजित किया गया।
एमएवी ने एक बयान में कहा, “इस पहल का उद्देश्य अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (पीईसीए), 2019 की स्पष्ट समझ प्रदान करना तथा ऑनलाइन तस्करी, अवैध प्रचार और प्रच्छन्न बिक्री जैसी डिजिटल प्रवर्तन चुनौतियों का समाधान करना था।”
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए यशोदा मेडिसिटी के श्वसन रोग विभाग (रेस्पिरेटरी मेडिसिन) के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि आजकल बहुत से युवा ऐसे आकर्षक, स्वादयुक्त उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं जो हानिरहित प्रतीत होते हैं, लेकिन वे निकोटीन पर निर्भरता तथा अधिक गंभीर लत का द्वार हैं।
उन्होंने कहा, “इन अच्छी महक वाले वेप में अक्सर डायएसिटाइल और फॉर्मेल्डिहाइड जैसे जहरीले रसायन होते हैं जो फेफड़ों पर हमेशा के लिए दाग छोड़ देते हैं। ‘फ्लेवर’ की आड़ में छिपी यह एक खामोश महामारी है।”
अधिकारियों ने बताया कि कार्यशाला में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि किस प्रकार निकोटीन गम, पाउच और वेप (ई-सिगरेट) किशोरों में नशे की लत के लिए तेजी से उभरते हुए रास्ते बन रहे हैं।
पीईसीए अधिनियम के तहत, पूरे भारत में ई-सिगरेट के उत्पादन, बिक्री, भंडारण या विज्ञापन पर प्रतिबंध है, और ऐसे उपकरणों को रखना एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए पहली बार अपराध करने पर एक वर्ष तक की कैद या 1 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।
दिल्ली पुलिस अकादमी के संयुक्त निदेशक, आईपीएस आसिफ मोहम्मद अली ने कहा कि हालांकि प्रतिबंध स्पष्ट है, लेकिन इसे लागू करने में नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उत्पादों की अक्सर ऑनलाइन बिक्री की जाती है और जीवनशैली के सामान के रूप में कूरियर और ई-कॉमर्स चैनलों के माध्यम से वितरित किया जाता है।
उन्होंने कहा, “यह आवश्यक है कि हमारा बल इन उभरते खतरों के बारे में अद्यतन जानकारी रखता रहे।”
‘परवरिश’ की सह-संस्थापक और बाल परामर्शदाता मानवी गुप्ता ने कहा कि कार्यशाला ने इस बात पर बल दिया कि वेपिंग से निपटने के लिए माता-पिता, शिक्षकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा संयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
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