कंडक्टर के पीछे बैठे यात्री बच गए जबकि चालक के पीछे के यात्री मारे गए: जीवित बचे व्यक्ति ने बताया
शुभम माधव
- 03 Nov 2025, 05:25 PM
- Updated: 05:25 PM
हैदराबाद, तीन नवंबर (भाषा) तेलंगाना में हुए एक भीषण हादसे में जीवित बचे लोगों में से एक ने बताया कि बस चालक के पीछे की सीटों पर बैठे अधिकतर यात्रियों की दुर्घटना में मौत हो गई जबकि कंडक्टर के पीछे वाली सीटों पर बैठे लोग बच गए।
तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में बजरी से लदे एक ट्रक और एक बस की सोमवार को भिड़त होने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और चार अन्य लोग घायल हो गए।
जीवित बचे व्यक्ति ने इस भयावह घटना के बारे में बताया कि वह बस में सो रहा था तभी एक जोरदार धमाके से उसकी आंख खुली और उसने स्वयं को बजरी में आधा दबा पाया।
उसने मीडिया से कहा, ‘‘कई लोग बजरी के नीचे दब गए। ट्रक विपरीत दिशा से आ रहा था। मैं बस के बाईं ओर बैठा था। हम तो किसी तरह बाहर निकल गए लेकिन बस चालक के पीछे बैठे लोग नहीं निकल पाए और उनमें से कुछ की मौत हो गई। मैं कंडक्टर से तीन पंक्तियां पीछे बैठा था।’’
व्यक्ति ने बताया कि वह एक खिड़की खोलकर बाहर आ गया तथा उसके पीछे छह और लोग भी थे।
शेख आमेर के अनुसार, उनके मित्र की पत्नी सालेहा बेगम (19), बेगम के पिता शेख खालिद हुसैन (50) और उनकी 41 दिन की बच्ची जहेरा फातिमा की मौत हो गई।
परिवार अपने नवजात शिशु के साथ तंदूर नामक स्थान पर जाने के बाद वहां से वापस आ रहा था। वहां इस परिवार ने अपने रिश्तेदारों के साथ बच्चे के जन्म का जश्न मनाया।
शेख आमेर ने 'पीटीआई वीडियो' को बताया, "सालेहा तंदूर (नामक स्थान) पर अपने रिश्तेदारों को नवजात शिशु दिखाकर शहर लौट रही थी। हममें से किसी ने भी नहीं सोचा था कि खुशी अचानक गम में बदल जाएगी।"
सलेहा के पति वहीद हुसैन दुर्घटना के समय ड्यूटी पर गए हुए थे। वह ट्रक चलाकर जीविका चलाते हैं।
उन्होंने कहा कि खालिद हुसैन परिवार का एकमात्र कमाने वाला था और उन्होंने सरकार से शोक संतप्त परिवार की मदद करने का आग्रह किया।
इसी तरह, इस दुर्घटना में तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के तंदूर कस्बे में एक परिवार की तीन बेटियों की मौत हो गयी।
दुर्घटना में नंदिनी, सैप्रिया और तनुषा की मौत हो गई, जिससे परिवार व्यथित हो गया।
तीनों हैदराबाद में कॉलेज में पढ़ रहीं थीं।
लड़कियों की मां अंबिका, चेवेल्ला के सरकारी अस्पताल में फूट-फूट कर रोती दिखीं। यहां दुर्घटना के बाद शवों को ले जाया गया था।
एक बेटे और चार बेटियों की मां अंबिका ने 'पीटीआई वीडियो' को बताया, "तीनों बेटियां हैदराबाद जा रही थीं। वे वहां पढ़ाई कर रहीं थीं। वे कल ही जाना चाहती थीं, लेकिन नहीं गईं। उन्हें कल ही जाना चाहिए था।"
इस घटना में जीवित बचे किशोर अशोक को मामूली चोटें आईं, उसने अपने पिता की मृत्यु की भयावह घटना के बारे में बताया।
अशोक और उनके पिता हनुमंत (45) कान की समस्या के इलाज के लिए हैदराबाद के एक अस्पताल जाने के लिए कोडंगल से बस में सवार हुए।
उसने बताया, "मेरे पिता मेरे बगल में बैठे थे। टिपर के बस से टकराने के बाद कई लोग मेरे पिता पर गिरे और साथ ही भारी मात्रा में बजरी भी।" बाद में कुछ लोगों ने खिड़की तोड़कर अशोक को बचा लिया।
चेवेल्ला के सरकारी अस्पताल में एक चिकित्सक ने बताया कि दुर्घटना के शिकार कई लोगों की हड्डियां टूट गई हैं और उनके चेहरे, पेट एवं पैरों में चोटें आई हैं
घायलों का इलाज जारी है और उन्हें हैदराबाद के बड़े सरकारी अस्पतालों में रेफर किया गया है।
टेलीविजन पर प्रसारित तस्वीरों में दिख रहा है कि बस का आधा हिस्सा बजरी से भर गया जिसके कारण यात्री अंदर ही फंस गए।
अधिकारियों ने बस का मलबा हटाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बचाव अभियान के दौरान चेवेल्ला के निरीक्षक श्रीधर के पैर पर एक खुदाई मशीन चढ़ जाने से उन्हें मामूली चोटें आईं।
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि टिपर की क्षमता 35 टन सामान ढोने की थी। हालांकि वह इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि कहीं उसमें क्षमता से अधिक सामान तो नहीं भरा था।
भाषा
शुभम