मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप वाली ऑडियो क्लिप से छेड़छाड़ हुई, न्यायालय में एनएफएसएल का बयान
सुरेश अविनाश
- 03 Nov 2025, 07:01 PM
- Updated: 07:01 PM
नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि गुजरात स्थित राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एनएफएसएल) ने इस बात के संकेत दिये हैं कि लीक हुई उस ऑडियो क्लिप के साथ छेड़छाड़ की गई थी, जिनमें राज्य में 2023 की जातीय हिंसा में मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की कथित भूमिका की ओर इशारा किया गया था।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि एनएफएसएल की रिपोर्ट के अनुसार, ऑडियो क्लिप में संपादन और छेड़छाड़ के संकेत मिले हैं और ये (क्लिप) आवाजों की फॉरेंसिक जांच के लिए वैज्ञानिक रूप से उपयुक्त नहीं हैं।
पीठ ने एनएफएसएल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, ‘‘इसलिए, क्लिप में विवादित वक्ताओं की आवाज की समानता अथवा असमानता तथा क्लिप में छेड़छाड़ को लेकर कोई राय नहीं दी जा सकती।’’
शीर्ष अदालत ‘कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट’ (कोहूर) की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा थी, जिसमें इस मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।
ट्रस्ट की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि एनएफएसएल की रिपोर्ट की एक प्रति पक्षकारों के साथ साझा की जाए, ताकि वे उस पर प्रतिक्रिया दे सकें।
पीठ ने अपनी रजिस्ट्री को संबंधित रिपोर्ट की एक प्रति पक्षकारों के वकील को सौंपने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई आठ दिसंबर के लिए स्थगित कर दी।
पीठ ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, ऑडियो क्लिप मूल स्वरूप में नहीं हैं और फॉरेंसिक आवाजों की तुलना के लिए वैज्ञानिक रूप से उपयुक्त नहीं हैं।
भूषण ने एक अलग फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि इसमें पाया गया है कि एक रिकॉर्डिंग बिना संपादन वाली थी।
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘हमने अभी (एनएफएसएल की) उस रिपोर्ट के अंतिम निष्कर्ष साझा किए हैं, जिसमें कहा गया है कि विवादित रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की गई है।’’
मेहता ने कहा, ‘‘वहां अब काफी शांति है...।’’
शीर्ष अदालत ने 19 अगस्त को केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) द्वारा ऑडियो रिकॉर्डिंग की जांच पर नाराजगी व्यक्त की और जातीय हिंसा में मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री की कथित भूमिका की ओर इशारा करते हुए इसे ‘‘गलत दिशा’’ वाला बताया।
शीर्ष अदालत ने 25 अगस्त को याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले को गांधी नगर स्थित एनएफएसएल को भेज दिया था, ताकि संबंधित ऑडियो क्लिप की जांच की जा सके और यह पता लगाया जा सके कि उनमें किसी भी तरह से बदलाव, संपादन या छेड़छाड़ तो नहीं की गई थी।
इसने एनएफएसएल से यह भी पूछा कि क्या विवादित ऑडियो क्लिप की आवाज स्वीकार की गई ऑडियो क्लिप की आवाज से मेल खाती है, ताकि यह स्पष्ट रूप से पता चल सके कि सभी ऑडियो क्लिप में एक ही व्यक्ति बोल रहा था।
शीर्ष अदालत ने पांच मई को लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर एक फॉरेंसिक रिपोर्ट की पड़ताल की और राज्य सरकार से जांच पर एक नयी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
प्रदेश भाजपा के भीतर कलह और नेतृत्व परिवर्तन की बढ़ती मांगों के बीच सिंह ने नौ फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
शीर्ष अदालत ने पहले लीक हुए ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर सीएफएसएल से एक सीलबंद लिफाफे में फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा में सिंह की भूमिका का आरोप लगाया गया था।
पिछले साल आठ नवंबर को शीर्ष अदालत ने लीक हुए कुछ ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता दर्शाने के लिए ट्रस्ट को तथ्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
मणिपुर में मई 2023 में मेईती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 260 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हुए।
भाषा सुरेश