सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए उपबंध-4 में तय अर्हता वैध: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
नोमान धीरज
- 03 Nov 2025, 08:46 PM
- Updated: 08:46 PM
प्रयागराज, तीन नवंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहायक अध्यापक के पद के लिए न्यूनतम योग्यता अनिवार्य करने वाले नौ सितंबर, 2024 के सरकारी आदेश के उपबंध-4 को वैध करार दिया है।
इस उपबंध में प्रावधान है कि मान्यता प्राप्त उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक पद के लिए अभ्यर्थी को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्यता प्राप्त किसी विश्वविद्यालय से स्नातक होना चाहिए। इसमें अभ्यार्थी के लिए राज्य सरकार या राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा मान्य अध्यापक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को पूर्ण करने की अनिवार्यता है।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा दाखिल उस अपील को स्वीकार कर लिया जिसके तहत सरकार ने इस अदालत के एकल न्यायाधीश के 24 सितंबर, 2024 के आदेश को चुनौती दी थी।
एकल न्यायाधीश ने यशांक खंडेलवाल और अन्य नौ लोगों द्वारा दायर रिट याचिका स्वीकार कर ली थी और नौ सितंबर, 2024 के सरकारी आदेश के उपबंध चार को रद्द कर दिया था। इस याचिका में इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र के साथ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में प्राथमिक शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा में प्रवेश की अनुमति देने का अधिकारियों को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था।
साथ ही याचिका में दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण में प्रवेश के लिए स्नातक होने की पात्रता वाले सरकारी आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
एकल न्यायाधीश ने यह रिट याचिका स्वीकार करते हुए सरकारी आदेश के उपबंध चार को रद्द कर दिया था और राज्य के अधिकारियों को याचिकाकर्ताओं को प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति देने का निर्देश दिया था।
वहीं इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया विभिन्न नियमों और प्रावधानों पर गौर करने के बाद कहा कि यह प्राथमिक पाठशालाओं में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति का मामला है जिसमें प्रशिक्षण पर खास जोर दिया गया है और कानून की मंशा यह है कि कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार द्वारा मान्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रम या एनसीटीई द्वारा अधिसूचित किसी प्रशिक्षण योग्यता तक के लिए नियुक्ति की पात्रता स्नातक होना है।
अदालत ने कहा, “इसलिए वर्ष 1998 से लेकर आज तक प्रत्येक सरकारी आदेश में बीटीसी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक निर्धारित की गई है और यह 1981 के नियमों के अनुरूप है जिसे मनमाना प्रावधान नहीं कहा जा सकता।”
इस टिप्पणी के साथ अदालत ने 24 सितंबर, 2024 के एकल न्यायाधीश के निर्णय को पलट दिया और प्रतिवादियों की रिट याचिका खारिज कर दी।
भाषा सं राजेंद्र
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