संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की समस्या को लेकर सात नवंबर को निर्देश जारी करेगा न्यायालय
वैभव धीरज
- 03 Nov 2025, 08:58 PM
- Updated: 08:58 PM
नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह उन संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की गंभीर समस्या से निपटने के लिए सात नवंबर को अंतरिम दिशानिर्देश जारी करेगा, जहां कर्मचारी आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं और उन्हें प्रश्रय देते हैं।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने आवारा कुत्तों से जुड़े इस मामले में सुनवाई की जिसमें 30 से अधिक राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव शीर्ष अदालत में पेश हुए।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटने से होने वाली गंभीर समस्या के मुद्दे पर विचार किया है। हम अगली सुनवाई में इस मुद्दे से निपटने के लिए अंतरिम निर्देश जारी करेंगे। सात नवंबर को आदेश सूचीबद्ध किया जाएगा।’’
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र सहित संस्थानों में आवारा कुत्तों के खतरे के संबंध में निर्देश जारी करेगी, जहां कर्मचारी कुत्तों की मदद कर रहे हैं, उन्हें खाना खिला रहे हैं और प्रश्रय दे रहे हैं।
पीठ ने कहा कि वह देशभर में कुत्तों के काटने की घटनाओं के संबंध में कुछ और दिशानिर्देश जारी करेगी।
न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, ‘‘उपस्थिति और हलफनामे आदि दर्ज करने के अलावा हम उन सरकारी संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों और अन्य संस्थानों में संस्थागत खतरों के संबंध में भी कुछ निर्देश जारी करेंगे जहां कर्मचारी कुत्तों को सहायता, भोजन उपलब्ध कराते हैं और उन्हें प्रश्रय देते हैं। इसके लिए हम निश्चित रूप से कुछ निर्देश जारी करेंगे।’’
मामले में पेश हुए एक वकील ने पीठ से आग्रह किया कि इस मुद्दे पर निर्देश देने से पहले उनकी बात भी सुनी जाए। इस पर न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, ‘‘माफ करिए हम संस्थागत मामलों में कोई दलील नहीं सुनेंगे।’’
पीठ ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के निजी तौर पर पेश होने की अब जरूरत नहीं है।
उसने कहा, ‘‘हालांकि, अगर इस अदालत द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन में कोई खामी रहती है तो मामले में उनकी उपस्थिति पुन: आवश्यक हो जाएगी।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को उसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था क्योंकि उन्होंने ना तो अनुपालन हलफनामा दाखिल किया था और ना ही 27 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान उपस्थित थे।
पीठ ने कहा कि उक्त दोनों राज्यों को छोड़कर बाकी राज्य पूरी तरह ‘सुस्त’ हैं और उन्होंने हलफनामे दाखिल नहीं किए।
पीठ ने कहा कि दादरा एवं नगर हवेली, दमन एवं दीव और चंडीगढ़ को छोड़कर, अन्य सभी ने अपने अनुपालन हलफनामे दाखिल कर दिए हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने हलफनामा दाखिल करने के लिए दो दिन का समय मांगा है। इसे अगली सुनवाई यानी 7 नवंबर से पहले दाखिल किया जाना चाहिए।’’
पीठ ने चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के वकील के इस कथन पर गौर किया कि उन्होंने 30 अक्टूबर को अनुपालन हलफनामा दाखिल कर दिया है, लेकिन वह रिकॉर्ड में नहीं है।
पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री से इसे सत्यापित करने और रिकॉर्ड में रखने को कहा।
शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के अनुपालन के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में पूछा था।
पीठ ने कहा कि भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए।
सुनवाई शुरू होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि अधिकतर राज्यों ने इस मामले में अपने अनुपालन हलफनामे दाखिल कर दिए हैं।
पीठ ने न्यायमित्र के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल से कहा कि सभी अनुपालनों के सार-संक्षेप के साथ इनका समाकलन किया जाए।
मेहता ने कहा कि जिन लोगों को कुत्तों ने काटा है, उन्हें भी मामले में पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सीमाओं से आगे बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था।
उच्चतम न्यायालय 28 जुलाई को एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से विशेषकर बच्चों में रेबीज फैलने की बात कही गई थी।
भाषा वैभव