भारत-इजराइल ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने, व्यापार संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की
प्रशांत माधव
- 04 Nov 2025, 09:13 PM
- Updated: 09:13 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) भारत और इजराइल ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की वैश्विक नीति विकसित करने और व्यापार, बुनियादी ढांचे व कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उपायों पर मंगलवार को चर्चा की।
इस दौरान भारत ने यह उम्मीद जताई कि अमेरिका की मध्यस्थता से तैयार की गई गाजा शांति योजना क्षेत्र में स्थायी शांति लाने में सहायक होगी।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और इजराइल के विदेश मंत्री गिदोन सार के बीच बातचीत में इन मुद्दों का जिक्र हुआ। दोनों देश आने वाले महीनों में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा की संभावना पर भी विचार कर रहे हैं।
बैठक में भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) पर भी चर्चा हुई, जिसके तहत क्षेत्रीय संपर्क व व्यापार को बढ़ावा देने के अवसरों की तलाश की जा रही है।
जयशंकर ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि भारत और इजराइल दोनों आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हम कठिन समय में एक साथ खड़े रहे हैं और हमारे संबंध आपसी विश्वास पर आधारित हैं। और हमने उच्च स्तर के भरोसे और विश्वसनीयता के साथ एक रिश्ता बनाया है। हमारे दोनों देशों को आतंकवाद की एक विशेष चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।”
उन्होंने कहा, “यह आवश्यक है कि हम आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति कतई बर्दाश्त न करने के वैश्विक दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करें।”
तीन दिवसीय भारत दौरे पर आए गिदोन सार ने कहा कि इजराइल इस समय गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्ला, और यमन में हूती जैसे “कट्टर आतंकवादी संगठनों” से मुकाबला कर रहा है।
उन्होंने कहा, “हमारे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए उन्हें उखाड़ फेंकना आवश्यक है। हमास के आतंकवादी शासन को खत्म करना राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप की योजना का प्रमुख हिस्सा है। हमास को निरस्त्र किया जाना चाहिए, गाजा को असैन्य बनाया जाना चाहिए। हम इस पर कोई समझौता नहीं करेंगे।”
सार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इजराइल के प्रति समर्थन को भी याद किया। उन्होंने कहा, “हमें याद है कि सात अक्टूबर को हमास के नरसंहार के बाद प्रधानमंत्री नेतन्याहू को फोन करने वाले वे पहले विश्व नेता थे और हम इसे कभी नहीं भूलेंगे।”
जयशंकर ने कहा कि भारत गाजा शांति योजना के घटनाक्रमों पर करीबी नजर रखे हुए है। भारत इन घटनाक्रमों पर “बहुत करीबी नजर” रख रहा है।
गाजा के लिये 20-सूत्री शांति योजना ने पट्टी में युद्धविराम को संभव बनाया। योजना के कार्यान्वयन के पहले चरण के तहत, हमास ने शेष सभी बंधकों को रिहा कर दिया, जबकि इजराइल ने लगभग सैकड़ों फलस्तीनी कैदियों और बंदियों को रिहा किया।
दोनों विदेश मंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया।
जयशंकर ने कहा, “हमारे द्विपक्षीय निवेश समझौते का हालिया समापन इस दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है। यह उल्लेखनीय है कि कृषि, अर्थव्यवस्था, पर्यटन और वित्त से जुड़े आपके सभी मंत्रिस्तरीय सहयोगी हाल ही में हमसे मिलने आए हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत ने कई नई क्षमताएं विकसित की हैं, विशेष रूप से रेल, सड़क और बंदरगाह अवसंरचना में, तथा हमारे व्यवसाय इजराइल में अवसरों का पता लगाने के लिए बहुत उत्सुक हैं और हम निश्चित रूप से इस ओर अधिक ध्यान देना चाहेंगे।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में दोनों पक्ष कृषि, नवाचार, सेमीकंडक्टर और साइबर मुद्दों पर भी अपने संयुक्त कार्य को आगे बढ़ा सकते हैं।
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