वक्फ अधिनियम पर हंगामे के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा की बैठक दिनभर के लिए स्थगित
नरेश
- 07 Apr 2025, 05:09 PM
- Updated: 05:09 PM
जम्मू, सात अप्रैल (भाषा) जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर द्वारा वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर चर्चा के लिए प्रश्नकाल स्थगित करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रस्ताव को नामंजूर किए जाने पर सोमवार को सदन में धार्मिक और राष्ट्रवादी नारे लगाए गए जिसके चलते सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित की गई, लेकिन सदन में व्यवस्था नहीं बन पाई। तीसरी बार अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के सदस्यों नजीर गुरेज़ी और तनवीर सादिक द्वारा वक्फ कानून पर चर्चा के लिए प्रश्नकाल स्थगित करने का प्रस्ताव पेश किया गया था। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष राथर ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि यह मामला न्यायालय में लंबित है।
इस विषय पर नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों सहित कुल नौ सदस्यों ने अध्यक्ष को कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था।
सदन में भाजपा के नेता सुनील शर्मा ने प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया जिससे हंगामा शुरू हो गया।
सादिक ने कहा, "यह हमारी आस्था से जुड़ा मजहबी मामला है। इससे ज्यादा गंभीर कोई मुद्दा नहीं है। अध्यक्ष महोदय, क्या आप इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार करने के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करेंगे?"
नेकां के कैसर जमशेद लोन ने कहा कि यह प्रस्ताव धार्मिक मामलों से संबंधित है और इस पर आधे घंटे की चर्चा तय की जानी चाहिए।
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने मांग की कि सदस्यों को इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए। चौधरी ने कहा, "अगर वे अपने विचार व्यक्त करना चाहते हैं, तो उन्हें बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए।"
अध्यक्ष ने सदस्यों को अपनी सीटों पर लौटने का निर्देश दिया।
प्रस्ताव खारिज होते ही विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे और ‘‘भाजपा हाय-हाय’’ तथा ‘‘बिल वापिस करो’’ जैसे नारे लगाए।
भाजपा सदस्यों ने "भारत माता की जय" के नारे लगाए जिसके जवाब में नेकां, कांग्रेस और पीडीपी सदस्यों ने "अल्लाह हू अकबर" के नारे लगाए।
भाजपा सदस्यों ने "वंदे मातरम" और "जहां हुआ बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है" जैसे नारे भी लगाये।
इसके जवाब में नेकां, कांग्रेस और पीडीपी सदस्यों ने "नारा-ए-तकबीर" के जोरदार नारे लगाए।
इस हंगामे के बीच नेकां के विधायक सलमान सागर और एजाज़ जान ने प्रश्न पत्रों संबंधी दस्तावेजों को फाड़कर हवा में उछाल दिया।
विधानसभा अध्यक्ष राथर ने सदन के नियम 58 का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए प्रश्नकाल स्थगित कर इस पर चर्चा नहीं की जा सकती।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विधेयक की संवैधानिकता पर फैसला अदालत को करना है।
पीडीपी सदस्य वहिद पारा ने मामले के धार्मिक महत्व की ओर ध्यान दिलाया।
उन्होंने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण मजहबी मसला है। तमिलनाडु विधानसभा ने इस पर प्रस्ताव पारित किया है। सदन को इसके अनुसार कार्य करना चाहिए।"
विधानसभा अध्यक्ष ने जवाब देते हुए कहा कि तमिलनाडु विधानसभा का प्रस्ताव अदालती कार्यवाही से पहले का है। उन्होंने कहा, "यह न्यायालय में विचाराधीन है। मैं प्रश्नकाल के स्थगन की अनुमति नहीं दूंगा।"
हंगामे के दौरान नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के एक अन्य विधायक माजिद लारमी की काली अचकन भी फट गई जिसके टुकड़ों को विपक्ष ने विधेयक के विरोध के प्रतीक के रूप में लहराया।
उन्होंने नारे लगाए, "बिल वापस लो, कानून को खत्म करो," जबकि भाजपा सदस्यों ने उनका जवाब देते हुए कहा, "ड्रामेबाजी को बंद करो।"
गुरेजी ने कहा, "यह एक मजहबी मसला है और हम अपने धर्म के लिए कुछ भी त्यागने को तैयार हैं। यदि आप हमें इस पर चर्चा करने की अनुमति नहीं देंगे, तो हम सदन को चलने नहीं देंगे।"
भाजपा सदस्य सतेश शर्मा, विक्रम रंधावा, अरविंद गुप्ता और कांग्रेस विधायक इरफान हफीज लोन के बीच थोड़ी धक्का-मुक्की हुई। हालांकि, वाच एंड वार्ड स्टाफ ने टकराव को टाल दिया।
स्थिति को भांपते हुए अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
नेकां, कांग्रेस और माकपा के सदस्यों ने विधानसभा भवन के प्रवेश द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया।
नेकां सदस्य अल्ताफ कालू ने संवाददाताओं से कहा, "भाजपा सदस्यों ने सदन में हाथापाई की। उन्होंने धार्मिक नारे लगाए। हमने उन्हें याद दिलाया कि हम यहां संवैधानिक मुद्दे उठाने आए हैं।"
उन्होंने कहा, "हमें बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। तमिलनाडु विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जबकि वहां मुस्लिमों की आबादी केवल छह प्रतिशत है। इस मुस्लिम बहुल क्षेत्र में चर्चा क्यों नहीं हो सकती?"
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य एम वाई तारिगामी ने कहा, "हम यहां जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों के बीच विभाजन पैदा करने के लिए नहीं हैं। हम विधायक के रूप में एकजुट हैं - हिंदू और मुसलमान नहीं। हम वक्फ विधेयक का विरोध कर रहे हैं।"
उन्होंने लोगों से भाजपा की "विभाजनकारी" राजनीति के खिलाफ एकजुट होने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "यह विधेयक धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है। मैं जम्मू के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे हमारा समर्थन करें। भाजपा इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर सकती है, लेकिन हमें एकजुट रहना चाहिए। हम सदन में इसके खिलाफ मिलकर लड़ेंगे।"
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को वक्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसे पिछले सप्ताह संसद के दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद पारित किया गया था।
भाषा
राखी