केंद्र से गहरे समुद्र में खनन प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह वाला प्रस्ताव केरल विस में पारित
अमित नरेश मनीषा
- 04 Mar 2025, 03:46 PM
- Updated: 03:46 PM
तिरुवनंतपुरम, चार मार्च (भाषा) केरल विधानसभा में मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें केंद्र सरकार से राज्य के तट पर गहरे समुद्र में खनिज खनन की अनुमति देने के अपने कदम को वापस लेने का आग्रह किया गया है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा पेश प्रस्ताव विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) विधायकों के हंगामे के बीच पारित किया गया, जो विधानसभा अध्यक्ष पर सत्तारूढ़ मोर्चे के ‘‘एजेंट’’ के रूप में काम करने का आरोप लगाते हुए उनके आसन के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
यूडीएफ विधायक राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन को उनका भाषण पूरा नहीं करने देने का विरोध कर रहे थे। इसके बाद वे सदन से बाहर चले गए, क्योंकि आशा कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन पर चर्चा के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करने की उनकी मांग स्वीकार नहीं की गई।
इस विरोध के कारण गहरे समुद्र में खनन संबंधी प्रस्ताव बिना चर्चा के पारित कर दिया गया।
केरल सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि राज्य के तट पर गहरे समुद्र में खनन शुरू करने के केंद्र के कदम को किसी भी कीमत पर अनुमति नहीं दी जा सकती और इस संबंध में राज्य के मछुआरा समुदाय की चिंता से केंद्र सरकार को पहले ही अवगत करा दिया गया है।
उसने सदन में पहले कहा था कि अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम-2002 के मानदंड तथा पिछले वर्ष इसमें किए गए संशोधन, दोनों ही राज्यों के हित में नहीं हैं।
सत्तारूढ़ मोर्चे ने विपक्षी कांग्रेस नीत यूडीएफ से भी प्रस्तावित गहरे समुद्र में खनन के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने का आग्रह किया था।
यूडीएफ ने संयुक्त विरोध प्रदर्शन के निमंत्रण को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि वाम सरकार खनन पहल का "समर्थन" कर रही है। उसने कहा है कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ अलग से विरोध प्रदर्शन करेगी।
राज्य सरकार ने पिछले महीने विधानसभा में कहा था कि दीर्घकाल में गहरे समुद्र में खनन से पारंपरिक समुद्री और बैकवाटर मछली भंडार पूरी तरह नष्ट हो जाएगा, तटीय क्षरण और रोजगार हानि बढ़ेगी और मछुआरों की नौकाओं के लिए बाधा उत्पन्न होगी।
केरल के उद्योग मंत्री पी राजीव ने हाल ही में कहा था कि केरल ने गहरे समुद्र में खनन प्रस्ताव के खिलाफ तीन बार पर औपचारिक रूप से अपना विरोध दर्ज कराया है।
पिछले महीने, केंद्र सरकार के निर्णय के विरोध में केरल मत्स्य समन्वय समिति के तहत मछुआरा संघों द्वारा 24 घंटे की हड़ताल का आयोजन किया गया। विरोध प्रदर्शन के तहत मछुआरों ने मछली पकड़ने की गतिविधियों से परहेज किया, जिसके कारण तटीय क्षेत्र में मछली संबंधी केंद्र और मछली बाजार प्रभावित हुए।
समिति के नेताओं के अनुसार, केंद्र ने पांच क्षेत्रों - कोल्लम दक्षिण, कोल्लम उत्तर, अलप्पुझा, पोन्नानी और चवक्कड़ में अपतटीय खनन के लिए रेत ब्लॉकों की नीलामी करने का निर्णय लिया है।
विरोध प्रदर्शन के तहत समिति ने 12 मार्च को संसद मार्च आयोजित करने की योजना भी बनाई है।
भाषा अमित नरेश